थ ही सुरक्षा घेरा बढ़ाने के लिए और मूवमेंट को रोकने के लिए 5 किमी के दायरे में सुरक्षा चौकी होगी ताकि दोबारा नक्सलियों के मूवमेंट पर नजर रखी जा सकें। वहीं किसी भी तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए पूरे इलाके में नाकेबंदी करने में मदद मिलेगी। आईजी बस्तर पी सुंदर राज ने बताया कि सर्वाधिक नक्सल प्रभावित इलाकों में 50 से ज्यादा नए कैंप पिछले डेढ़ साल में खोेले गए हैं।
अभियान के चलते दायरा सिमटने लगा
वहीं लगातार चलाए जा रहे अभियान के चलते दायरा सिमटने लगा है। फोर्स के कदम रखने के बाद से मुठभेड़ में मारे जाने और पकड़े जाने के डर से नक्सली सरेंडर कर रहे हैं। गिनती के बचे हुए करीब 1000 नक्सली अपनी जान बचाने के लिए सुरक्षित ठिकानों में अंडरग्राउंड हो गए हैं। बता दें कि पिछले डेढ़ साल में 1428 नक्सलियों ने सरेंडर किया और 205 मुठभेड़ में 427 मारे जाने के साथ ही छोटे-बडे कैडर के करीब 250 लोग पकड़े गए हैं।
90 फीसदी नक्सल मुक्त
राज्य में 90 फीसदी से ज्यादा क्षेत्र को नक्सल मुक्त किया जा चुका है। कुछ क्षेत्रों में अब भी छोटे-बडे़ कैडर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए वारदात कर रहे हैं। हालात यह हैं कि जनसभा और बैठक के लिए अंदरुनी इलाकों में सुरक्षित जगह तक नहीं मिल रही है। जंगल के अंदनी इलाकों तक फोर्स के पहुंचने से नक्सलियों को पैर रखने तक के लिए जगह नहीं मिल रही है। नक्सल ऑपरेशन से जुडे़ अधिकारियों का कहना है कि स्थानीय जनता अब मुयधारा से जुड़ रही है। यहां खुलेंगे नए कैंप
नक्सल ऑपरेशन से जुडे़ अधिकारियों का कहना है कि महाराष्ट्र, तेलंगाना और ओडिशा से सटे दक्षिण बस्तर क्षत्रे में बीजापुर, सुकमा, दंतेवाड़ा एवं महाराष्ट्र से सटे उत्तर बस्तर में कांकेर, अबुझमाढ़ के अंदरुनी इलाके में 50 से ज्यादा नए कैंप खुलेंगे। इसके लिए स्थल चिन्हांकित कर तैयारी चल रही है। यहां नक्सल मुक्त क्षेत्रों में तैनात जवानों को जरूरत के अनुसार दूसरे कैंपों में शिट किया जाएगा।
बता दें कि
छत्तीसगढ़ से लगने वाले राज्यों की सीमाओं पर चौकसी बढ़ाई गई है। ताकि नक्सली वहां शरण न ले सकें। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर राज्य को नक्सल मुक्त किया जाना है। इसके लिए कगार-2026 को टारगेट में रखकर काम किया जा रहा है।
अंदरुनी इलाकों में में जल्द बसों का संचालन
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के अंदरूनी इलाकों में जल्दी ही मुयमंत्री ग्रामीण बस योजना के तहत नई यात्री बसों का संचालन किया जाएगा। इसके लिए 75 मार्गों की पहचान की गई है। प्रथम चरण में 13 बसों का संचालन शुरू किया जाएगा। वहीं लगातार बिजली-पानी, सड़क, स्कूल, रोजगार, प्रशिक्षण और अन्य विकास कार्य कराए जाने से स्थानीय लोग लगातार मुयधारा में जुड़ रहे हैं। 14 महीने में 38 कैंपों ने नक्सलियों की जमीन छीनी
प्रदेश में नई सरकार के आने के बाद पिछले 14 महीने में बस्तर संभाग के अलग-अलग जिलों में 38 कैंप स्थापित किए गए हैं। सबसे ज्यादा कैंप बीजापुर और नारायणपुर के अबूझमाड़ में स्थापित हुए हैं। सभी 38 कैंप उन इलाकों में स्थापित किए गए हैं जहां कभी सिर्फ नक्सलियों की चला करती थी। इन इलाकों में नक्सली अपनी अघोषित सरकार चलाते थे। फोर्स के कैंप स्थापित होने के बाद नक्सलियों से उनकी जमीन छीनी गई है।