Repo Rate: रेपो रेट में कमी का मतलब ऐसे समझे
रेपो रेट में कमी का मतलब है कि मकान, गाड़ी समेत विभिन्न कर्जों पर ईएमआई में कमी आएगी, महंगाई दर घटेगी, रियल स्टेट की गति को बल मिलेगा। कंस्ट्रक्शन, सीमेंट, स्टील आदि उद्योगों को लाभ होगा और अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी। चेंबर के महामंत्री अजय भसीन, कोषाध्यक्ष उत्तमचंद गोलछा, कार्यकारी अध्यक्ष राजेंद्र जग्गी, विक्रम सिंहदेव, राम मंधान, मनमोहन अग्रवाल ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आखिरकार उम्मीदों को पूरा कर दिया है। Repo Rate: रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने सर्वसम्मति से रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है। इसके बाद रेपो रेट घटकर 6.25 प्रतिशत पर आ गई है, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न प्रकार के लाभ व्यापार-उद्योग जगत और आम नागरिकों को मिलेगा, जिसका चेंबर स्वागत करता है।
कम ईएमआई: अब घर, कार और व्यवसाय ऋण का भुगतान कम हो सकता है, जिससे वित्तीय राहत मिलेगी, लोगों के पास बचत बढ़ेगी और पैसा बाजार में आएगा। सस्ते ऋण: उधार लेने की लागत कम हो सकती है, जिससे नए ऋण प्राप्त करना और अपनी आकांक्षाओं को पूरा करना आसान हो जाएगा। व्यापारी अपने व्यवसाय का और भी विस्तार कर पाएंगे।
व्यवसायों के लिए बढ़ावा: कम ब्याज दरों से व्यवसायों को तेजी से विस्तार करने में मदद मिल सकती है, जिससे अधिक आर्थिक अवसर पैदा होंगे, रोजगार का सृजन होगा व राजस्व में वृद्धि होगी।
बढ़ी हुई बचत: कम ब्याज दरों के साथ, आप अपने वर्तमान और भविष्य के ऋण भुगतान पर अधिक बचत कर सकते हैं।