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रायपुर

महिला सुरक्षा अभियान: ‘तुम्हें लज्जा नहीं आती…’ घर-पड़ोसी और गली में गूंज रही चीखें, सुनने वाला कोई नहीं

Women safety campaign: महिलाओं के साथ जघन्य अपराध के मामले में सुनवाई जल्द हो रही है। उसी तरह अब घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना और छेड़छाड़ के पेडिंग मामलों में भी तेजी लाई जाए, तभी महिलाओं के साथ अपराध करने वालों पर अंकुश लग सकेगा।

रायपुरFeb 05, 2025 / 12:37 pm

Laxmi Vishwakarma

Women safety campaign: 'तुम्हें लज्जा नहीं आती...' घर-पड़ोसी और गली में गूंज रही चीखें, सुनने वाला कोई नहीं
Women safety campaign: बात का बतंगड़ बनाना पड़ेगा। बात दूर तलक भी ले जानी पड़ेगी। महिलाओं के खिलाफ अपराधों में हालात ही कुछ ऐेसे बनते जा रहे हैं। वे मन मारकर दूसरों की शर्तों पर जिंदगी जीते-जीते शारीरिक हिंसा का शिकार हो रही हैं। लोक-लाज खोने का डर, समाज में प्रतिष्ठा धूमिल होने के खौफ की वजह से ऐसी हजारों, लाखों महिलाओं का दर्द न्याय की आस में दम तोड़ रहा है।

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Women safety campaign: महिलाओं के साथ शारीरिक हिंसा और मारपीट

कई मामलों में आरोपियों को सजा मिलती है तो कई में केस कमजोर हो जाता है। हां, हो सकता है शारीरिक हिंसा-मारपीट के किसी मामले में फरियादी महिला ही आरोपी निकले, लेकिन ऐसे केस नगण्य होंगे। राज्य में पत्रिका ने पड़ताल की तो ज्यादातर केस में पितृसत्तात्मक सोच ही हावी दिखाई दी। अपराध नियंत्रण के लिए पत्रिका के ‘रक्षा कवच’ अभियान की तीसरी कड़ी में आज हम बात कर रहे हैं। महिलाओं के साथ शारीरिक हिंसा और मारपीट की।
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महिलाओं से मारपीट अशिक्षित, निम्न वर्गीय परिवारों में ही नहीं, बल्कि सभ्य और सम्भ्रांत समझे जाने वाले परिवारों की महिलाएं-लड़कियां भी इसका सामना कर रही हैं। इनसे अंदाजा लगाया जा सकता है। इंसान कितना क्रूर हो सकता है। पत्रिका के ‘रक्षा कवच’ अभियान का मकसद इस क्रूरता को किनारे कर लोगों को जागरूक करना, अपराध दर में कमी लाना है।

विशेषज्ञ की बात

Women safety campaign: शन्नो शगुफ्ता खान, अधिवक्ता इंदौर हाईकोर्ट: शारीरिक प्रताड़ना के मामले में पहले आईपीसी की धारा 498 ए के तहत केस दर्ज होता था। अब बीएनएस की धारा 85 के तहत। शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के मामले में अधिकतम तीन साल तक की सजा का प्रावधान है। गंभीर चोट की स्थिति में 10 वर्ष तक की सजा हो सकती है। महिलाओं के साथ जघन्य अपराध के मामले में सुनवाई जल्द हो रही है। उसी तरह अब घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना और छेड़छाड़ के पेडिंग मामलों में भी तेजी लाई जाए, तभी महिलाओं के साथ अपराध करने वालों पर अंकुश लग सकेगा।

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