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रायपुर

World Asthma Day: धूल के कणों से एलर्जी ही अस्थमा की असली वजह, अब बच्चे भी इस बीमारी के गिरफ्त में, जानें लक्षण और बचाव

World Asthma Day: प्रदूषित वातावरण, खानपान व जीवनशैली में आए बदलाव भी अस्थमा का कारण बन रहा है। डॉक्टरों के अनुसार बच्चों में बार-बार निमोनिया होने से फेफड़े कमजोर हो जाते हैं। वायु प्रदूषण में हानिकारण पदार्थ सांस के जरिए फेफड़े तक पहुंचता है।

रायपुरMay 06, 2025 / 09:57 am

Laxmi Vishwakarma

World Asthma Day: धूल के कणों से एलर्जी ही अस्थमा की असली वजह, अब बच्चे भी इस बीमारी के गिरफ्त में, जानें लक्षण और बचाव
World Asthma Day: पीलूराम साहू/वातावरण में मौजूद धूल के छोटे-छोटे कणों से लोग एलर्जी से पीड़ित हो रहे हैं। यही एलर्जी बाद में अस्थमा का कारण बन रहा है। गंभीर बात ये है कि अस्थमा की चपेट में मासूम भी आ रहे हैं। बड़े तो पहले से इस बीमारी की गिरफ्त में है। यही नहीं कोरोनाकाल के बाद अस्थमा के मरीज करीब तीन गुना तक भी बढ़ गए हैं।

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दरअसल कोरोना के वायरस ने लोगों के फेफड़ों को कमजाेर किया है। 6 मई को विश्व अस्थमा दिवस है। इस मौके पर पत्रिका ने डॉक्टराें से बातचीत की तो पता चला कि अस्थमा के लिए काफी हद तक वायु प्रदूषण भी जिम्मेदार है। यही नहीं नरम-गरम मौसम में भी अस्थमा के मरीजों की परेशानी बढ़ जाती है, जैसा कि अभी तेज गर्मी के बाद बारिश से मौसम नरम हो गया है। इस सीजन में एलर्जी के भी मरीज बढ़ गए हैं।

World Asthma Day: एम्स व निजी अस्पतालों में भी काफी संख्या में अस्थमा के मरीज

खासकर ठंड का सीजन अस्थमा के मरीजों के लिए सबसे खतरनाक होता है। आंबेडकर अस्पताल के चेस्ट विभाग की ओपीडी में रोजाना 100 मरीजों का इलाज किया जा रहा है, इनमें बच्चों से लेकर सभी उम्र के मरीज हैं। इनमें कुछ तो जेनेटिक हैं। जेनेटिक मतलब, जिनके पैरेंट्स इस बीमारी से ग्रसित होते हैं, ऐसे बच्चों में ये बीमारी आसानी से होती है। एम्स व निजी अस्पतालों में भी काफी संख्या में अस्थमा के मरीज पहुंच रहे हैं।

बार-बार निमोनिया से भी फेफड़े कमजोर

प्रदूषित वातावरण, खानपान व जीवनशैली में आए बदलाव भी अस्थमा का कारण बन रहा है। डॉक्टरों के अनुसार बच्चों में बार-बार निमोनिया होने से फेफड़े कमजोर हो जाते हैं। वायु प्रदूषण में हानिकारण पदार्थ सांस के जरिए फेफड़े तक पहुंचता है। यही गंभीर बीमारी का कारण भी बनता है। छत्तीसगढ़ में इंडस्ट्री, ऑटो मोबाइल व कंस्ट्रक्शन से वायु प्रदषण एक बड़ा कारण है।
एक स्टडी के अनुसार प्रदूषण के सबसे छोटे कण यानी पार्टीकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 तीन गुना ज्यादा पाए गए हैं। ये ऐसे कण हैं, जिनका साइज 2.5 माइक्रो ग्राम से भी कम होता है। ये कण आसानी से फेफड़ों में पहुंचकर गंभीर व जानलेवा बीमारी का कारण बन रहा है।
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अस्थमा के लक्षणों में ये

  • सांस लेने में परेशानी।
  • दम घुटना या सांस लेते समय गले आवाज आना।
  • छाती में कुछ जमा या भरा हुआ जैसे लगना।
  • ज्यादा खांसने पर कफ आना।
  • काम करते समय सांस फूलना

अस्थमा से बचाव

  • ज्यादा प्रदूषित इलाके में मॉस्क लगाएं।
  • ज्यादा ठंडी चीजें अचानक खाने से बचें।
  • धूम्रपान न करें, कोई कर रहा हो तो दूर रहें।
  • सांस फूलने पर ज्यादा मेहनत न करें।
  • ठंड के सीजन में विशेष ऐहतियात बरतें।
World Asthma Day: डॉ. आरके पंडा, एचओडी चेस्ट विभाग आंबेडकर अस्पताल: कोरोनाकाल के बाद अस्थमा के मरीज तीन गुना तक बढ़ गए हैं। यही नहीं वायु प्रदूषण से भी अब बच्चों को भी ये बीमारी हो रही है। अचानक मौसम में नमी, गर्मी व बारिश से अस्थमा के केस बढ़ते हैं। सांस लेने में परेशानी या गले से आवाज आए तो विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाएं।
डॉ. यूसूफ मेमन, डायरेक्टर संजीवनी कैंसर अस्पताल: अस्थमा के मरीजों को फेफड़े के कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। अस्थमा व फेफड़े के कैंसर के मरीजों में कुछ समानता होती है, जैसे सांस लेने में तकलीफ व खांसी। फेफड़े के कैंसर में सीने में दर्द, खून की खांसी या अस्थमा में घरघराहट होती है। लक्षण दिखे तो लापरवाही न बरतें।

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