World Population Day: छत्तीसगढ़ में जनसंख्या वृद्धि की रफ्तार तेज, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार बनी नई चुनौती
World Population Day: छत्तीसगढ़ की जनसंख्या 3 करोड़ तक पहुंच गई है। बढ़ती जनसंख्या के चलते स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है, जिससे संतुलित और टिकाऊ विकास की जरूरत और भी अधिक हो गई है।
छत्तीसगढ़ की जनसंख्या में इजाफा (Photo source- Patrika)
World Population Day: छत्तीसगढ़, जो खनिज, जंगल और सांस्कृतिक विविधता से भरपूर है, अब जनसंख्या के मोर्चे पर भी एक नई सीमा पार कर चुका है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार राज्य की आबादी 3.08 करोड़ (2024 अनुमान) तक पहुँच चुकी है। यह न केवल राज्य की जनसांख्यिकीय संरचना को प्रभावित कर रहा है, बल्कि विकास, संसाधनों और प्रशासनिक व्यवस्था पर भी बड़ा असर डाल रहा है।
छत्तीसगढ़ की जनसंख्या में जनजातीय आबादी (आदिवासी) की हिस्सेदारी लगभग 30.6% है। गोंड, बिआर, हल्बा, उरांव, कंवर, मुरिया, और भतरा जैसी कई जनजातियाँ यहां निवास करती हैं। अन्य प्रमुख वर्गों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), अनुसूचित जाति (SC) और सामान्य वर्ग शामिल हैं।
जनसंख्या का वितरण
छत्तीसगढ़ की आबादी मुख्य रूप से ग्रामीण है, जहां लगभग 76% लोग गांवों में निवास करते हैं, जबकि 24% शहरी क्षेत्र में रहते हैं। राज्य का जनसंख्या घनत्व लगभग 191 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है, जो कि राष्ट्रीय औसत (464/किमी²) से कम है।
जनसंख्या की स्थिति
2021 के अनुमान के अनुसार छत्तीसगढ़ की कुल जनसंख्या लगभग 3 करोड़ 20 लाख है। यह देश की कुल जनसंख्या का लगभग 2.1% है। राज्य में ग्रामीण जनसंख्या का प्रतिशत 76% से अधिक है, जबकि शहरी आबादी तेजी से बढ़ रही है।
जनसंख्या घनत्व लगभग 189 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है, जो राष्ट्रीय औसत से कम है।
आबादी बढ़ रही लेकिन संसाधन से पिछड़ रहे
प्रदेश की आबादी करीब 3 करोड़ से पहुुंच चुकी है। लेकिन जरूरतों के हिसाब से हम संसाधन में पिछड़ रहे हैं। लेकिन वहीं डब्ल्यूएचओ के अनुसार प्रदेश में नागरिकों के इलाज के लिए करीब 33 हजार डॉक्टरों की जरूरत है। दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी है। सुपर स्पेशलिटी सेवा सिर्फ राजधानी तक सीमित है। बात शिक्षा की करें तो यहां भी हालात अच्छे नहीं हैं।
प्राइमरी स्कूल में 30 बच्चों के पीछे 1 शिक्षक होना चाहिए। लेकिन राज्य की 30,700 प्राथमिक शालाओं में औसतन 21.84 विद्यार्थियों के पीछे एक शिक्षक है। प्रदेश के 13,149 पूर्व माध्यमिक शालाओं में 26.2 विद्यार्थियों के पीछे एक शिक्षक है। लेकिन डिजिटल क्षेत्र की बात करें तो शहरी इलाकों में हालात बेहतर हैं। छत्तीसगढ़ 94 प्रतिशत युवा मोबाइल से लैस हो चुके हैं। ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क की समस्या के चलते हालात अच्छे नहीं हैं।
World Population Day: प्रमुख चुनौतियां
स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव
एक डॉक्टर पर औसतन 15,000 से अधिक लोग निर्भर हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य केंद्रों की भारी कमी। मातृ व शिशु मृत्यु दर अब भी राष्ट्रीय औसत से अधिक।
शिक्षा व्यवस्था की खामियाँ
सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी। आदिवासी क्षेत्रों में स्कूल ड्रॉपआउट दर ऊंची। डिजिटल शिक्षा में ग्रामीण-शहरी खाई अब भी गहरी।
बढ़ता पलायन और बेरोजगारी
ग्रामीण युवाओं में कौशल की कमी, शहरों की ओर पलायन।
स्वरोजगार की योजनाएं अभी भी अपेक्षित परिणाम नहीं दे पा रहीं।
संसाधनों पर दबाव
बढ़ती आबादी के साथ जल, जंगल, जमीन पर दबाव बढ़ा है। शहरी क्षेत्रों में यातायात, जलप्रदाय और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन बड़ी समस्याएं बन रहे हैं।
डिजिटल इंडिया: प्रदेश में 94 प्रतिशत युवा मोबाइल से लैस
World Population Day: भारत सरकार के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा आयोजित व्यापक मॉड्यूलर सर्वेक्षण दूरसंचार (सीएमएसटी) के परिणाम सामने आ गए हैं। जनवरी से मार्च 2025 के बीच हुए इस सर्वे में 15 से 29 वर्ष आयु वर्ग के युवाओं की डिजिटल पहुंच, व्यवहार और इंटरनेट उपयोग की प्रवृत्तियों का विस्तृत विश्लेषण किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, भारत का युवा वर्ग न केवल डिजिटल रूप से सशक्त हो रहा है, बल्कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच की खाई भी तेजी से सिमटती नजर आ रही है।
सांख्यिकी कार्यालय रायपुर के अधिकारी राजेश श्रीवास्तव कहते हैं, यह सर्वे स्पष्ट संकेत देता है कि देश का युवा वर्ग वैश्विक डिजिटल क्रांति का सक्रिय भागीदार बन चुका है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्मार्टफोन और इंटरनेट की गहरी पैठ, भारत को डिजिटल समानता की दिशा में तेजी से आगे बढ़ा रही है।
राष्ट्रीय स्तर पर तस्वीर
मोबाइल फोन का उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में 96.8% शहरी क्षेत्रों में 97.6% स्मार्टफोन: 95.5% ग्रामीण और 97.6% शहरी युवाओं के पास। इंटरनेट: 92.7% ग्रामीण और 95.7% शहर में।
छत्तीसगढ़ की तस्वीर
94% से अधिक युवा मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं। 3.2% ग्रामीण परिवारों के पास ही इंटरनेट की पहुंच है।
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