दो मुट्ठी चावल और 2-2 रुपए से 40 करोड़ तक का सफर, इस महिला ने बदल दी तकदीर
Women’s Day 2025: जीवन में चुनौतियों तो आएंगी, लेकिन घबराने के बजाय जो हिम्मत से आगे बढ़ते हैं इतिहास रच देते हैं। कुछ ऐसी कहानी है, छत्तीसगढ़ की इस बेटी की। चलिए जानते हैं…
Women’s Day 2025: दो मुट्ठी चावल और 2-2 रुपए से 40 करोड़ रुपए तक का सफर करना.. ये बात किसी सपने से कम नहीं है। लेकिन छत्तीसगढ़ की एक महिला ने इस सपने का सच कर दिखाया है। हम बात कर रहे पद्मश्री से सम्मानित फूलबासन बाई यादव की। जो आज लाखों महिलाओं की उंगली पकड़कर उनकी तकदीर बदल दी है। एक समय बकरी चराने और गरीबी से जूझने वाली आज 8 लाख से ज्यादा महिलाओं को आत्मनिर्भर बना चुकी हैं।
इसकी शुरुआत दो मुट्ठी चावल और ₹2 जमा करके की। फूलबासन ने स्व सहायता समूह बनाने की शुरुआत की और धीरे-धीरे ये समूह इतना बड़ा हो गया कि इस समूह में सिर्फ छत्तीसगढ़ की महिलाएं नहीं बल्कि अन्य राज्य और देश भर के कई महिलाएं जुड़ गई। बता दें कि मां बम्लेश्वरी स्व सहायता समूह से 8 लाख से अधिक महिलाएं जुड़ चुकी हैं। 14,000 से ज्यादा समूह चल हो रहे हैं और 40 करोड़ रुपये से ज़्यादा की बचत महिलाओं ने की है। वहीं यह कारंवा चलता ही जा रहा है।
हर इंसान को चुनौतियों का सामना करना होता है। लेकिन कुछ ही ऐसे होते हैं जो घबराने के बजाय हिम्मत से आगे बढ़ते हैं इतिहास रच देते हैं कुछ ऐसी कहानी है। राजनांदगांव में जन्मी फूलबासन बाई यादव की कहानी। बताया कि कम उम्र में शादी के बाद परिवार चलाने के लिए उन्होंने गाय-बकरी चराने का काम किया। हालात इतने खराब हो गए कि उन्होंने आत्महत्या करने तक की सोच ली थी।
12 साल की उम्र में ही गई थी शादी
शो के दौरान फूलबासन ने बताया कि वह जब महज 12 साल की थी। तभी उनकी शादी एक चरवाहे से करा दी गई थी। शादी के महज कुछ महीनों बाद ही वह मां बन गई थीं। शादी के बाद भी वह लगातार कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। जिसके बाद उन्होंने तय किया कि वह बाल विवाह, गरीबी और भुखमरी जैसी परेशानियों के खिलाफ आवाज़ उठाएंगी।
महिला सशक्तिकरण के लिए करती हैं काम
सैकड़ों परेशानियों का सामना करने के बाद आज फूलबासन 2 लाख महिलाओं संग जुड़ चुकी हैं। वह ‘मां बम्लेश्वरी जनहित कार्य समिति’ नाम के संगठन संग काम करती हैं। जिसके जरिए वह महिलाओं के लिए महिला सशक्तिकर का काम करती हैं। कौन बनेगा करोड़पति के मंच से सुनाई गई फूलबासन के जीवन की कहानी ने कई और महिलाओं के सामने भी आगे बढ़ने और चुनौतियों का सामना करने का उदाहरण पेश किया है।
पत्रिका के अभियान से जुड़ी
महिलाओं की सुरक्षा और अपराध से बचाने के लिए पत्रिका महिला सुरक्षा अभियान चला रही है। इस अभियान से अब पद्मश्री फुलबासन यादव भी जुड़ गई है। मोहला ब्लॉक के ग्राम बांधाटोला में एक कार्यशाला के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को उनके अधिकार से वाकिफ कराया और कहा कि चुप्पी तोड़ो और सहना छोड़ो। प्रताड़ना से अगर बचना है तो खुलकर विरोध करना होगा। इस मौके पर रैली निकाली गई। महिलाएं पोस्टर लेकर शामिल हुईं।
महिलाओं को किया जागरूक
फुलबासन ने कहा कि गांव में अक्सर यह गंभीर समस्या देखने को मिलती है कि पति शराब के चक्कर में महिलाओं को मारते-पीटते हैं। कुछ परिवार में यह समस्या है कि महिलाएं रोजी-मजदूरी कर घर चलाती हैं और पति नशे के आदी होने की वजह से पैसे नहीं देने पर पत्नी को प्रताड़ित करते हैं। कहा कि रोज-रोज की प्रताड़ना को सहने की वजह से अपराध को बढ़ावा मिलता है। आगे चलकर यह घातक हो जाता है।
केबीसी में जीते 50 लाख रुपए
टीवी शो केबीसी के कर्मवीर एपिसोड में फूलबासन ने 50 लाख रुपए जीते थे। जिसके बाद वह काफी खुश नज़र आईं। आपको बता दें उनसे 50 लाख के लिए यह सवाल पूछा गया था कि कौन एक पर्यावरणविद थीं जिन्हें, अपने राज्य हिमाचल प्रदेश में अवैध खनन के खिलाफ लड़ाई लड़ाने और जोरदार आवाज़ उठाने के लिए जाना जाता है। इस प्रश्न का जवाब देने के लिए उन्होंने अपनी हेल्पलाइन अस्क द एक्सपर्ट की मदद ली। जिसमें किंकरी देवी सही जवाब होते ही वह 50 लाख रुपए जीत गई।
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