script1291 करोड़ की चंबल योजना बनी ‘उम्मीदों की पाइपलाइन’, 56 हजार परिवारों को एक साल और करना पड़ेगा इंतजार | 1291 crore Chambal project became a 'pipeline of hope', 56 thousand families will have to wait for one more year | Patrika News
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1291 करोड़ की चंबल योजना बनी ‘उम्मीदों की पाइपलाइन’, 56 हजार परिवारों को एक साल और करना पड़ेगा इंतजार

राजस्थान की बहुप्रतीक्षित चंबल पेयजल परियोजना, जो भीम-देवगढ़ विधानसभा क्षेत्र में 56,000 से अधिक परिवारों को राहत पहुंचाने का वादा करती थी, अब खुद सवालों के घेरे में आ गई है।

राजसमंदMay 20, 2025 / 06:02 pm

Madhusudan Sharma

Chambal Project

Chambal Project

देवगढ़. राजस्थान की बहुप्रतीक्षित चंबल पेयजल परियोजना, जो भीम-देवगढ़ विधानसभा क्षेत्र में 56,000 से अधिक परिवारों को राहत पहुंचाने का वादा करती थी, अब खुद सवालों के घेरे में आ गई है। 1291.16 करोड़ रुपए की यह परियोजना न केवल तय समय-सीमा से पिछड़ रही है, बल्कि विकास की कछुआ चाल और प्रशासनिक उदासीनता की प्रतीक बन चुकी है। 15 जून 2025 की समय-सीमा भी अब दूर की कौड़ी लग रही हैपरियोजना को अक्टूबर 2023 में शुरू किया गया था, और इसे 15 जून 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन दो साल से भी ज्यादा बीतने के बावजूद अब तक केवल 50 प्रतिशत कार्य ही पूरा हो पाया है। हालात ये हैं कि कई गांवों में पाइपलाइन बिछाने तक का काम नहीं हुआ, और जहां हुआ भी है वहां अधूरा पड़ा है। कई इलाकों में केवल सड़कें खोद दी गई हैं, लेकिन पाइप बिछाने या सड़क दुरुस्त करने की सुध तक नहीं ली गई।

आकड़े जो हकीकत बयां करते हैं:

  • लाभार्थी: 54 ग्राम पंचायतों के 250 गांव व 827 ढाणियों के 56,000 से अधिक परिवार
  • जलाशय: 56 प्रस्तावित टंकियों में से अब तक केवल 29 का निर्माण पूर्ण
  • पाइपलाइन: 514 किमी डीआई पाइपलाइन और 1460 किमी ग्रामीण पाइप नेटवर्क का लक्ष्य, लेकिन अधिकांश अभी अधूरा
  • पंप हाउस: प्रस्तावित 13 में से कई का निर्माण अधूरा, कई पर कार्य शुरू भी नहीं
  • वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट: जयसिंहपुरा बेंगू (चित्तौड़गढ़) से पानी भेजने की योजना

आमजन की परेशानी: टूटी सड़कें, खुले पाइप, दुर्घटनाएं

कई स्थानों पर सड़कें तोड़कर पाइप डाल दिए गए हैं, लेकिन कार्य अधूरा छोड़ दिया गया है। इससे भीलवाड़ा रोड जैसे व्यस्त मार्गों पर दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। देवगढ़ शहर के भीतर भी कई स्थानों पर बड़े पाइप खुले में पड़े हैं, जिससे स्थानीय नागरिकों को रोजमर्रा की आवाजाही में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
  • परियोजना की संरचना: एक नजर मेंचंबल परियोजना केवल एक पेयजल योजना नहीं, बल्कि यह क्षेत्र के समग्र जल पुनर्वास का हिस्सा है। इसमें शामिल हैं:700 एमएम एमएस पाइपलाइन: बागौर-करेड़ा पंप हाउस से कालेसरिया तक
  • 514 किमी डीआई पाइपलाइन: टंकियों को जल आपूर्ति हेतु1460 किमी पाइपलाइन: घरों तक जल पहुंचाने हेतु
  • 56 नई टंकियां: जल भंडारण के लिए, जिनमें से केवल आधी बनी13 पंप हाउस और 16 पंपिंग स्टेशन: प्रमुख गांवों जैसे कालेसरिया, पीतामपुरा, टोगी, भीम, डांसरिया आदि मेंडांसरिया में विशेष बूस्टर पंप लगाया जाएगा, ताकि ऊँचाई वाले इलाकों तक पानी पहुँच सके।

जनता की उम्मीदें फिर अधूरी

स्थानीय निवासी और पंचायत प्रतिनिधि इस परियोजना से बहुत उम्मीद लगाए बैठे थे। क्षेत्र लंबे समय से जल संकट झेल रहा है, खासकर गर्मियों में। लेकिन दो वर्षों के बाद भी अधूरी पड़ी परियोजना अब आशा नहीं, बल्कि नाराजगी और संदेह का कारण बन गई है। देवगढ़ और भीम के ग्रामीणों का कहना है कि “प्रत्येक वर्ष यह कहा जाता है कि अगले साल पानी मिलेगा, लेकिन हर साल नया बहाना मिल जाता है।” खासकर 2024 की गर्मियों में जल संकट के चलते टैंकरों पर निर्भरता ने प्रशासन की योजना की नाकामी को उजागर कर दिया है।

राजनीतिक चुप्पी और जवाबदेही का अभाव

राजनीतिक दृष्टिकोण से यह परियोजना कांग्रेस सरकार की एक बड़ी घोषणा थी। लेकिन भाजपा सरकार के कार्यकाल में इसे लेकर अपेक्षित गंभीरता नहीं दिखाई दे रही। न तो क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने इस पर मुखर आवाज उठाई, न ही राज्य सरकार की ओर से प्रगति की नियमित समीक्षा की गई।

इनका कहना है

काम की गति बेहद धीमी है। जहां-जहां काम रुका हुआ है, वहां संबंधित ठेकेदार कंपनियों से बात कर पुनः कार्य शुरू कराया जाएगा। साथ ही, अनुबंध की शर्तों के तहत विलंब पर कार्रवाई की जाएगी।
अशोक सालवी, चंबल परियोजना के सहायक अभियंता

वर्तमान में 50 प्रतिशत से अधिक काम पूरा हो चुका है, देवगढ़ भीम में जहां से पानी आएगा वहां इंटेक फाइनल होने की स्टेज पर है, जिसका कार्य है बेगू डिवीजन द्वारा करवाया जा रहा है। बेगू डब्ल्यूटीपी से पानी भीम देवगढ़ पहुंचाने के लिए ट्रांसमिशन लाइन का कार्य प्रगति पर है तथा सिविल स्ट्रेक्चर लगभग सभी स्थानों पर शुरू हो चुके है एवं पाइप लाइन का कार्य प्रगति पर है। ठेकेदार के द्वारा धीमी गति से कार्य किया गया था इस पर सवा 10 करोड़ रुपए का जुर्माना लगा दिया गया है। संभवतः एक साल में कार्य पूरा कर क्षेत्र की जनता को राहत दे दी जाएगी।
रामप्रसाद जाट, एक्सईएन : चम्बल प्रोजेक्ट मांडलगढ़

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