‘पालना स्थल’-एक नन्हीं जान की नई शुरुआत
इस मुहिम की नींव पड़ी जब राजसमंद जिले के बाल अधिकारिता विभाग, जिला बाल संरक्षण इकाई और बाल कल्याण समिति ने मिलकर एक सपना देखा- ऐसा सपना, जिसमें कोई बच्चा कचरे के ढेर में दम न तोड़े, कोई नन्ही जान सुनसान मंदिर की सीढ़ियों पर बेसहारा न रोए। इस सपने का नाम है- “पालना स्थल”। यह एक ऐसी जगह है, जहां माता-पिता या परिजन, बिना किसी डर और पहचान उजागर किए, अपने नवजात को छोड़ सकते हैं। यहां न तो सवाल पूछे जाते हैं और न ही कोई कानूनी बाध्यता। बस एक उद्देश्य है — बच्चे की जान बचाना और उसे सम्मानपूर्वक जीवन देना।
गांव-गांव जागरूकता:सालोर और गिलुण्ड में अभियान
अभियान की सफलता तभी संभव है जब समाज जागे। इसी सोच के साथ हाल ही में सालोर और गिलुण्ड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में पोस्टर, स्टिकर और संवाद के जरिए जागरूकता फैलाई गई। शिशुगृह प्रबंधक प्रकाश चंद्र सालवी ने खुद केंद्रों का निरीक्षण किया और वहां मौजूद आमजन और मेडिकल स्टाफ से संवाद किया। उन्होंने कहा –”बच्चों को नदियों, जंगलों, कचरे के डिब्बों या मंदिरों में छोड़ना न केवल अपराध है, बल्कि अमानवीयता की पराकाष्ठा है। पालना स्थल एक ऐसा विकल्प है, जहां मासूम की जान सुरक्षित रह सकती है।”
चिकित्सा कर्मियों का संवेदनशील योगदान
सालोर स्वास्थ्य केंद्र के डॉ. श्रीराम झाझड़ा, डॉ. राकेश यादव, हरिश दैया, प्रेमशंकर, जितेंद्र कुमावत, तथा गिलुण्ड केंद्र के डॉ. श्रीकृष्ण कुमार शर्मा, पुरण सालवी, भूपेश खटीक, रईस खान, विमला बामनिया, कुंतल भील जैसे कर्मियों ने इस अभियान को सिर्फ एक ड्यूटी नहीं, बल्कि एक नैतिक जिम्मेदारी की तरह निभाया। ये सभी स्वास्थ्यकर्मी इस पहल को गांव-गांव तक पहुंचाने में मिशनरी भावना से जुटे हुए हैं।
अब तक 16 पालना स्थल: राजसमंद बन रहा है संवेदनशीलता का प्रतीक
राजकीय शिशुगृह के अधीक्षक दीपेंद्र सिंह शेखावत बताते हैं कि अब तक राजसमंद जिले के 16 प्रमुख सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर पालना स्थल स्थापित किए जा चुके हैं। इनमें शामिल हैं: कांकरोली, रेलमगरा, दरिबा, गिलुण्ड, कुरज, सालोर, देलवाड़ा, खमनोर, झालों की मदार, केलवा, केलवाड़ा, चारभुजा, आमेट, छापली, देवगढ़ और भीम।
दत्तक ग्रहण: एक अधूरी गोद की पूर्ति
अगर किसी महिला या परिवार को किसी मजबूरी में बच्चा छोड़नापड़ता है, तो वह पालना स्थल के जरिए उसे सुरक्षित भविष्य दे सकता है। इसके बाद, बच्चा केंद्रीय दत्तक ग्रहण प्राधिकरण की प्रक्रिया से होकर योग्य दंपतियों को गोद दिया जा सकता है। शिशुगृह प्रबंधक प्रकाश चंद्र सालवी बताते हैं कि यदि कोई दंपति निःसंतान हैं और शिशु को गोद लेना चाहते हैं, तो वे बच्चा केंद्रीय दत्तक ग्रहण प्राधिकरण पोर्टल पर पंजीकरण कर सकते हैं। साथ ही, वे राजकीय शिशुगृह, गोराजी कालाजी मंदिर के पीछे, कलालवाटी से संपर्क करके पूरी प्रक्रिया की जानकारी भी ले सकते हैं।