बिहार सरकार में शहरी विकास एवं आवास मंत्री जिवेश कुमार मिश्रा मंगलवार को राजस्थान के राजसमंद की अदालत से राहत मिली है। वर्ष 2010 में अमानक दवा आपूर्ति से जुड़े मामले में दोष सिद्धि के बाद वे मंगलवार को न्यायालय में पेश हुए। न्यायालय ने 7 हजार रुपए के अर्थदंड और अपराधी परिवीक्षा अधिनियम के तहत सदाचार बनाए रखने की शर्त पर उन्हें छोड़ दिया।
राजसमंद की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ममता सैनी ने 4 जून 2025 को मामले में मंत्री मिश्रा सहित 9 आरोपियों को दोषी करार दिया था। मंत्री जिवेश मिश्रा मंगलवार को अदालत में पेश होने से पहले दो घंटे राजसमंद बार एसोसिएशन के कार्यालय में रहे। उन्होंने अधिवक्ताओं से निचली अदालत के फैसले के विरुद्ध अपील करने और अग्रिम विधिक विकल्पों पर चर्चा की।
यह है मामला
28 सितंबर 2010 को तत्कालीन औषधि नियंत्रक अधिकारी हरिओम मेहता ने देवगढ़ स्थित कंसारा ड्रग्स डिस्ट्रीब्यूटर्स का निरीक्षण किया। इस दौरान सिप्रोलिन-500 टैबलेट के नमूने जयपुर की प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए भेजे। ये अपमिश्रित एवं अमानक श्रेणी में मिले। जांच में सामने आया कि दवा आल्टो हेल्थ केयर प्रा. लि, मैसर्स नंदी फार्मा और कौशल फार्मा द्वारा मैसर्स कंसारा ड्रग्स डिस्ट्रीब्यूटर्स को सप्लाई की गई। कंसारा ड्रग्स और प्रतिभा कंसारा ने इसे बेचने के लिए सप्लाई किया।
यह वीडियो भी देखें जिवेश कुमार मिश्रा आल्टो हेल्थ केयर प्रा. लि. के निदेशकों में से एक हैं। वे अभी बिहार की जेडीयू भाजपा सरकार में यूडीएच मंत्री हैं। कंपनी के दो अन्य निदेशक ज्योति गोयल और कुंजबिहारी गोयल और एक अन्य आरोपी रामेश्वर दयाल उपाध्याय (निवासी अलीगढ़) फरार हैं। अदालत इन तीनों को मफरूर घोषित कर चुकी है। मामले में कुल 16 आरोपी नामजद थे, जिनमें से एक की मौत हो चुकी है।