कृषि विभाग की ओर से अब बैलों से खेती करने वाले किसानों की पंचायत वार सूचियां तैयार कराई जा रही है। कृषि विभाग ने सभी सहायक कृषि अधिकारियों से मार्च माह में ही सूचना मांगी है। इसके बाद किसानों का प्रोत्साहन राशि के लिए चयन किया जाएगा। गौरतलब है कि पहले बैलों से खेती होती थी, लेकिन आधुनिक कृषि यंत्रों और ट्रैक्टर के बढ़ते उपयोग के कारण बैलों से खेती का महत्व न के बराबर हो गया। अब सरकार की पहल से बैलों के उपयोग से लघु एवं सीमांत किसानों को प्रोत्साहन मिल सकेगा। साथ ही पर्यावरण को भी फायदा हो सकेगा। विशेषज्ञों के अनुसार बैलों से की जाने वाली जुताई से भूमि की उर्वरता बनाए रखने में भी सहायता मिलती है। इस योजना में चयनित किसानों को गोबर गैस प्लांट लगाने पर सब्सिडी मिलने के साथ ही बैलों से खेती करने से कृषि की लागत कम होगी, जिससे किसानों की आर्थिक िस्थति मजबूत होगी।
बैठक में दी किसानों को पूरी जानकारी
केलवाड़ा में रविवार को कृषि विभाग की ओर से इस योजना को लेकर किसानों के साथ बैठक आयोजित की गई। इसमें कृषि पर्यवेक्षक रितेंद्र कुमार देवत और मनीष कुमार शर्मा ने किसानों को योजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इस अवसर पर भाजपा नेता प्रेमसुख शर्मा के अलावा गांव के कई किसान और स्थानीय निवासी मौजूद रहे। बैठक में बताया गया कि यह योजना पारंपरिक कृषि पद्धतियों को संरक्षित करने और किसानों को आर्थिक मदद देने के उद्देश्य से शुरू की गई है। इससे न केवल किसानों को आर्थिक सहायता मिलेगी, बल्कि पर्यावरण अनुकूल खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।
करवा रहे हैं सूची तैयार
पत्र जारी करके बैलों से खेती करने वाले इच्छुक किसानों की ग्राम पंचायतवार सूची तैयार कराई जा रही है। चयनित किसानों को विभागीय दिशा-निर्देशों के अनुसार लाभान्वित करने की कार्रवाई की जाएगी। गणपत लोहार, कृषि अधिकारी राजसमंद