ये श्रद्धालु हरिद्वार से 800 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा पर निकले हैं और इनका उद्देश्य केवल धार्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक भी है। ये कांवड़िए उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को 2027 में फिर से मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं।
अखिलेश यादव के नाम पर उठी आस्था की कांवड़
इस अनोखी कांवड़ यात्रा की शुरुआत 3 जुलाई को हरिद्वार से हुई। यात्रा में शामिल कांवड़ियों ने अपनी कांवड़ में समाजवादी पार्टी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और सांसद डिंपल यादव की तस्वीरें लगाई हैं। इन कांवड़ियों का नेतृत्व गौरव भोले कर रहे हैं। उन्होंने मीडिया से बातचीत में बताया कि हर एक कांवड़ में 51 लीटर पवित्र गंगाजल रखा गया है। यह यात्रा पूरी तरह पैदल तय की जा रही है और इसका उद्देश्य आध्यात्मिक के साथ-साथ राजनीतिक भी है।
लखनऊ पहुंचकर अखिलेश यादव के चरणों को गंगाजल से धोने की योजना
गौरव भोले ने बताया कि यात्रा के दौरान जब यह समूह लखनऊ पहुंचेगा, तब वहां वे अखिलेश यादव से मिलकर उनके चरणों को पवित्र गंगाजल से धोएंगे। इसके बाद यह जत्था बनारस स्थित बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक करेगा। उन्होंने कहा, “हमारी आस्था शिवभक्ति के साथ-साथ अखिलेश यादव के प्रति भी है। हम चाहते हैं कि 2027 में वे फिर से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनें और प्रदेश में समाजवादी विचारधारा की सरकार लौटे।”
कांवड़ में शिवभक्ति और सियासत का मेल
इस यात्रा में जसबीर, अतुल, सावन भोले समेत दर्जनों श्रद्धालु शामिल हैं। सभी ने एक सुर में कहा कि यह यात्रा सिर्फ भगवान शिव के प्रति भक्ति नहीं, बल्कि प्रदेश की राजनीति को दिशा देने की कामना भी है। सभी श्रद्धालुओं का यह मानना है कि राज्य में युवाओं, किसानों और गरीबों के हक के लिए एक बार फिर समाजवादी सरकार का आना जरूरी है। और इसके लिए वे भगवान शिव से प्रार्थना कर रहे हैं।
800 किलोमीटर का कठिन मार्ग, लेकिन हौसले बुलंद
हरिद्वार से शुरू हुई यह यात्रा कई शहरों और गांवों से होकर लखनऊ और फिर वाराणसी जाएगी। लगभग 800 किलोमीटर लंबा यह सफर पैदल तय किया जा रहा है। रास्ते में स्थानीय लोगों से इन्हें समर्थन और उत्साहवर्धन मिल रहा है। यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं ने बताया कि उन्होंने संकल्प लिया है कि जब तक बाबा विश्वनाथ के चरणों में गंगाजल अर्पित नहीं कर देंगे, तब तक चैन से नहीं बैठेंगे।
राजनीति से हटकर भी मिल रहा है जन समर्थन
यात्रा के दौरान जहां कुछ लोग इसे सियासी रंग देने की कोशिश मान रहे हैं, वहीं बड़ी संख्या में आम लोग इसे एक भक्ति की अभिव्यक्ति बता रहे हैं। रामपुर, बरेली और मुरादाबाद में लोगों ने इन श्रद्धालुओं का स्वागत किया और उनकी सेवा में सहयोग भी किया।
आस्था और राजनीति का अनोखा संगम
रामपुर से निकली यह खबर बताती है कि किस तरह आस्था और राजनीति का संगम एक नई दिशा ले रहा है। जहां एक ओर यह यात्रा भगवान शिव की भक्ति के प्रतीक के रूप में देखी जा रही है, वहीं दूसरी ओर इसमें अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने की कामना भी जुड़ी है। यह अनोखी पहल न सिर्फ कांवड़ यात्रा की परंपरा में नया अध्याय जोड़ रही है, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी चर्चा का विषय बन गई है।