74 फीसदी हिस्सा झाबुआ में रतलाम से झाबुआ के बीच की दूरी करीब 100 किमी है। इस मार्ग का 74 फीसदी हिस्सा झाबुआ जिले की सीमा में आता है जबकि 26 फीसदी हिस्सा रतलाम जिले में शाामिल है। इस वजह से इस मार्ग का निर्माण कार्य एमपीआरडीसी झाबुआ-धार उपमहाप्रबंधक के अंतर्गत प्रोजेक्ट के तहत आता है।
ऐसे होगा निर्माण एमपीआरडीसी के रतलाम-झाबुआ के 100 किमी मार्ग में रतलाम जिले के करमदी, मथुरी, कुआझागर, मूंदड़ी, रानीसिंह, झाबुआ जिले के करवड़, बामनिया, खवासा, थांदला, पेटलावद, मेघनगर होते हुए झाबुआ तक पहुंचेगा।
यह होगा फायदा रतलाम से झाबुआ की यात्रा करने वालों के लिए यह मार्ग काफी सुविधाजनक होगा। इससे अंदर क्षेत्र के काफी संख्या में गांवों को लाभ मिलेगा। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे से धामनोद से पेटलावद तक का रास्ता मिलता है।
दो-दो मीटर के शोल्डर भी टू-लेन की चौड़ाई 10 मीटर की होगी। इसके दोनों तरफ दो-दो मीटर के शोल्डर भी बनाए जाएंगे जिससे दो पहिया वाहन चालकों को सफर करने में आसानी हो सके।
सिर्फ इनको देना होगा टैक्स टूलेन पर दो स्थानों पर टोल टैक्स के नाके बनाए जाएंगे। इसमें कार आदि को कोई टैक्स नहीं लगेगा। टोल नाकों पर केवल व्यावसायिक वाहनों से टैक्स वसूला जाएगा।
दो साल पहले हो चुका विवाद दो साल पहले भी इस मार्ग का काम शुरू होने से पहले मथुरी के यहां टोल नाका शुरू किया था। तब ग्रामीणों सहित अन्य ने जोरदार विरोध किया तो इसे बंद करना पड़ा था।
जल्द एग्रीमेंट के बाद काम शुरू ठेका लेने वाली कंपनी से जल्द ही एग्रीमेंट होकर काम शुरू हो जाएगा। शासन से लेटर ऑफ एक्सेपटेंस(एलओए) मिल गया है। रामगोपाल हटीला, एजीएएम, एमपीआरडीसी झाबुआ