Kawad Yatra 2025 Start And End Date: इस साल श्रावण मास 11 जुलाई से शुरू होगा और 9 अगस्त 2025 तक चलेगा। यह महीना भगवान शिव को बहुत प्रिय है। मान्यता है कि जो भक्त सावन में व्रत रखकर शिवजी की पूजा करते हैं, उनकी मनोकामना पूरी होती है। इसमें भी कांवड़ से गंगाजल लाकर शिवजी के जलाभिषेक का अधिक महत्व है।
साथ ही तीर्थ स्थल से कांवड़ से गंगा जल लाने वाले शिव भक्त तीर्थ यात्री कांवड़िया, भोले और इनकी यात्रा कांवड़ यात्रा कही जाती है। इस कांवड़ यात्रा की शुरुआत सावन के पहले दिन यानि श्रावण कृष्ण प्रतिपदा तिथि से हो जाती है और शिवरात्रि पर समाप्त होती है। श्रावण कृष्ण प्रतिपदा 11 जुलाई को है और शिवरात्रि 23 जुलाई को, इसलिए कांवड़ यात्रा 11 जुलाई से 23 जुलाई तक होगी। आइये जानते हैं कितने तरह के होते हैं कांवड़िया और कांवड़ यात्रा में क्या करें, क्या न करें ..
कितने प्रकार के होते हैं कांवड़िया (Kanwariya Kitne Prakar Ke Hote Hain)
कांवड़ यात्रा पूरी करने के प्रकार के अनुसार ही कांवड़ियों को जाना जाता है। उदाहरण के लिए सामान्य कांवड़िया, डाक कांवड़िया, खड़ा कांवड़ वाले भोले और दांडी कांवड़िया कहे जाते हैं। आइये जानते हैं ..
सामान्य कांवड़
इनकी तीर्थ यात्रा अपेक्षाकृत कम कठिन होती है। इसके बाद डाक कांवड़िया और खड़ी कांवड़ और दांड़ी कांवड़ की यात्रा क्रमशः कठिन होती जाती है। सामान्य कांवड़िये अपनी यात्रा के दौरान जहां चाहें रूककर आराम कर सकते हैं। ये यात्रा के रास्ते में लगे पंडालों में रूकते हैं और आराम के बाद आगे का सफर शुरू करते हैं।
डाक कांवड़
डाक कांवड़ यात्रा में डाक कांवड़िया शुरुआत से शिव के जलाभिषेक तक बिना रूके चलते रहते हैं। इनके लिए मंदिरों में विशेष इंतजाम किए जाते हैं। उनके लिए लोग रास्ता बना देते हैं, ताकि वे शिवलिंग तक बिना रूके चलते रहें।
खड़ी कांवड़
इसमें भक्त खड़ी कांवड़ लेकर चलते हैं। उनकी मदद के लिए कोई न कोई सहयोगी साथ चलता है। जब कांवड़िया आराम करता है तो साथी कांवड़ अपने कंधे पर रखकर खड़ी अवस्था में चलने के अंदाज में कांवड़ को हिलाता रहता है।
दांडी कांवड़
इसमें दांड़ी कांवड़िया नदी तट से शिवधाम तक दंड देते हुए पहुंचते हैं और कांवड़ पथ की दूरी को अपने शरीर की लंबाई से मापते हुए पूरी करते हैं। ये बहुत कठिन कांवड़ यात्रा होती है और इसमें महीनों का समय लग जाता है।
यहां जानते हैं कांवड़ यात्रा के नियम
कांवड़ यात्रा में शिव भक्त तीर्थ स्थलों से नदियों का जल भरकर प्रसिद्ध शिवालय तक लाते हैं और महादेव का जलाभिषेक करते हैं। जो लोग कांवड़ यात्रा करते हैं, उनको कुछ नियमों का पालन करना होता है वर्ना यात्रा असफल मानी जाती है। आइये जानते हैं कांवड़ यात्रा के नियम
कांवड़ यात्रा के नियम (Kanwar Yatra Ke Niyam)
1.कांवड़ यात्रा आस्था के साथ करनी चाहिए, दिखावे के लिए कांवड़ यात्रा नहीं करनी चाहिए। कांवड़ यात्रा शुरू करने से जलाभिषेक तक मन, वचन और कर्म को शुद्ध रखने की कोशिश करें, क्योंकि यह यात्रा एक तपस्या है। 2. कांवड़ यात्रा में खुद को पवित्र नहीं रखने पर तीर्थ यात्रा असफल मानी जाती है। कांवड़ यात्रा में किसी के प्रति बुरे विचार मन में नहीं लाना चाहिए। 3. कांवड़ यात्रा के दौरान किसी स्थान पर पेशाब या शौच के लिए रूकते हैं तो कांवड़ को जमीन पर न रखें, उसे किसी पेड़ पर या लकड़ी, लोहे के स्टैंड पर रखें या साथी को दे दें.
4. कांवड़ यात्रा में लघुशंका आदि करते हैं तो छोटे से बोतल में रखे गंगाजल से खुद को पवित्र करें और फिर आगे की यात्रा करें। 5. कांवड़ यात्रा में तामसिक भोजन, नशा, धूम्रपान से दूर रहें।
6. कांवड़ यात्रा में भगवान शिव के नाम का जाप करते रहना चाहिए और रास्ते में थककर किसी चारपाई आदि पर न बैठें, सोएं। 7. कांवड़ यात्रा के दौरान किसी भी प्राणी को चाहे वह मनुष्य हो या पशु कष्ट न दें।
8. कांवड़ यात्रा में साफ वस्त्र पहनें, एक दिन की यात्रा के बाद स्नान से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहनकर ही आगे बढ़ें।
कांवड़ यात्रा में क्या करें और क्या न करें (What To Do What Not To Do)
1.अकेले कावड़ यात्रा की जगह समूह में चलना सुरक्षित और अधिक अच्छा माना जाता है। 2. कांवड़ यात्रा पूरी को बिस्तर या चारपाई पर सोने की अनुमति नहीं होती है। जमीन पर या किसी चटाई पर विश्राम कर सकते हैं। 3. रास्ते में जितना संभव हो दूसरे कांवड़ियों की मदद करें।
4. लंबी पैदल यात्रा के लिए शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के साथ अनुशासित और अलर्ट होना भी जरूरी है। रास्ते के लिए प्राथमिक उपचार किट और आवश्यक दवाएं साथ रखें। 5. प्रशासन द्वारा निर्धारित कावड़ मार्गों पर ही चलें, डीजे पर भजन बजाने वालों को ध्वनि की तय सीमा का खयाल रखना चाहिए, ताकि दूसरों को परेशानी न हो।
6. यात्रा मार्ग पर कूड़ा न फैलाएं। 7. कावड़ यात्रा में त्रिशूल, भाला या अन्य किसी भी प्रकार के हथियार न लेकर चलें, इस प्रतिबंध है और भक्त को नियमों का पालन करना चाहिए।