अब यह काम रहेंगे निषेध
देवशयनी एकादशी के बाद शादी-विवाह के साथ चूड़ाकर्म, गृह प्रवेश, मुंडन, कुआं पूजन, नींव मुहूर्त, यज्ञोपवीत, नए प्रतिष्ठान का उद्घाटन सहित सभी तरह के शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। इस दौरान सिंजारा, तीज, रक्षाबंधन सहित कई त्योहार आएंगे।
मंदिरों में सजी विशेष झांकियां
देवउठनी एकादशी पर मंदिरों में भी विशेष आयोजन हुए। यहां ठाकुरजी का शयन कराया गया। इस दौरान उन्हें कई व्यंजनों का भोग भी लगाया गया। शहर में कई धार्मिक आयोजन भी हुए। उधर, अबूझ मुहूर्त की वजह से कई शुभ व मांगलिक कार्य भी हुए। चार महीने का ब्रेक लगने वाला है, इसलिए लोगों ने मकान के काम का मुहूर्त भी कराया। कई घरों में चूड़ाकर्म के कार्यक्रम भी हुए।
नवंबर में रहेंगे आठ सावे
देवउठनी एकादशी पर शादी का अबूझ सावा रहेगा। इसके बाद सूर्य के वृश्चिक राशि में प्रवेश के बाद 20 दिन के लिए फिर मांगलिक कार्य पर विराम लग जाएगा। इसके बाद 22 नवंबर से मांगलिक कार्य शुरू होंगे। नवंबर में 2, 22, 23, 24, 25, 27, 29 और 30 और दिसंबर में 4, 5, 11 को सावा रहेगा। इसके बाद मलमास की वजह से शादियां व अन्य मांगलिक कार्य नहीं हो सकेंगे। देवशयनी एकादशी पर तीर्थ स्नान का विशेष महत्व है। इसके चलते जिलेभर से सैकड़ों की संया में लोगों ने हरिद्वार व अन्य तीर्थों में जाकर स्नान किया। साथ ही वहां गरीबों को भोजन भी कराया। बड़ी संया में लोग इस समय चार धाम यात्रा पर भी गए हुए हैं। कुछ लोगों ने घर पर ही तीर्थ का पानी नहाने के जल में मिलाकर तीर्थ स्नान का पुण्य प्राप्त किया। उधर, शहर में भी लोगों ने जमकर दान-पुण्य किया। एकादशी का व्रत भी रखा गया।