सिंधु संस्कार समिति के संस्थापक राजेश मनवानी ने बताया कि झूलेलाल मंदिर पर प्रज्वलित अखंड ज्योति भारत विभाजन के बाद सिंधी समाज वरिष्ठजनो बुजुर्गो द्वारा सिंध पाकिस्तान स्थित ज्योति से प्रज्वलित कर लाई गई थी। जो अभी तक उसी अवस्था में प्रज्ज्वलित है। अखण्ड ज्योति का शुद्ध घी व सरसों के तेल व बाती का विशेष रूप से ध्यान मंदिर के कार्यकर्ताओं को रखना पड़ता है, जिससे ज्योति कभी बुझ नहीं पाए। भगवान झूलेलाल की पूजा जल व ज्योति के रूप में किए जाने का महत्व है। मान्यता है कि ज्योति के समक्ष झोली फैलाकर पल्लव पाकर श्रद्धा भाव से जो भी मन्नत की जाती वह अवश्य पूरी होती है। अत: सिंधी समाज शुभ भावना से भगवान झूलेलाल की जल व ज्योति के रूप में पूजा करता है।