भाग्योदय में हुआ भगवान चंदप्रभु का अभिषेक
भाग्योदय तीर्थ में पहली बार चंदप्रभु भगवान का महामस्तकाभिषेक का कार्यक्रम निर्यापक मुनि योग सागर महाराज के ससंघ सान्निध्य में हुआ। निर्यापक मुनि योग सागर महाराज ने कहा कि आचार्य धरसेन महाराज जयवंत हों, उन्होंने दो मुनिराजों पुष्पदंत सागर और भूतवली सागर को शास्त्रों को लिपिबद्ध करने के लिए अधिकृत किया था। पहला ग्रंथ षट्खण्डआगम बना था और धवलाग्रंथ की रचना भी हुई थी। आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने 1980 में षट्खंडआगम ग्रंथ की वाचना की थी। 45 वर्ष पहले महान ग्रंथ आपको उपलब्ध हुआ था। मुनि ने कहा ज्ञान होने पर कर्मों की निर्जरा होती है विशुद्धि बढ़ती है और मोक्ष मार्ग पर चला जाता है बाकी सारे ज्ञान गलत रास्तों पर ले जाते हैं। मुनि निर्भीक सागर महाराज ने कहा आचार्य विद्यासागर महाराज हमेशा कहते थे। श्रुत पंचमी सभी जैन पर्वों का राजा है इसे आनंद और हर्षोल्लास से मनाना चाहिए। तीर्थंकरों की वाणी को आज के दिन ही लिपिबद्ध कर शास्त्रों को बनाया गया था। सिद्धांत के विषयों को लिपिबद्ध किया गया था।
श्रुत पंचमी ज्ञान की आराधना का महापर्व है : सूत्र मति
सागर . महिला जैन मिलन नेहा नगर शाखा क्रं 10 ने नेहा नहर जैन मंदिर में श्रुत पंचमी का पर्व मनाया। शाखा की सभी सदस्यों ने जिनवाणी का रखरखाव किया। इस मौके पर सूत्र मति माता ने कहा कि श्रुत पंचमी ज्ञान की आराधना का महापर्व है। सतीश भैया ने पंचमी पर विधान कराया। इस मौके पर अनिता, किरण जैन, मनीषा, रुचि सेठ व रेनू संध्या आदि शामिल हुई।