scriptPolitical : जमीयत उलेमा-ए-हिंद बोली नफरत के पत्थर पर टिकी है सत्ता की कुर्सी! | Politics: Jamiat Ulema-e-Hind said the chair of power is resting on the stone of hatred! | Patrika News
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Political : जमीयत उलेमा-ए-हिंद बोली नफरत के पत्थर पर टिकी है सत्ता की कुर्सी!

Political : जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने एक बार फिर से सरकार पर मौखिक प्रहार किया है। उन्होंने कहा है कि सत्ता की कुर्सी जिस पत्थर पर टिकी है वह नफरत का पत्थर है। यह बात उन्होंने देश की राजधानी दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कही। पत्रकार वार्ता में […]

सहारनपुरMay 05, 2025 / 12:10 pm

Shivmani Tyagi

Arshad Madani

फाइल फोटो

Political : जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने एक बार फिर से सरकार पर मौखिक प्रहार किया है। उन्होंने कहा है कि सत्ता की कुर्सी जिस पत्थर पर टिकी है वह नफरत का पत्थर है। यह बात उन्होंने देश की राजधानी दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कही।

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पत्रकार वार्ता में भावुक दिखे मदनी

मौलाना अरशद मदनी पहले भी इस तरह के बयान देते रहे हैं। रविवार को वह दिल्ली में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने भावुक गले से कहा कि, हमने अपनी अब तक की 85 साल की जिंदगी में कभी देश में ऐसे हालात नहीं देखे। आरोप लगाते हुए बोले कि, सत्ता की कुर्सी जिस पत्थर पर टिकी हुई है वह पत्थर नफरत का है। सरकार एकल सिद्धांत पर चल रही है। सरकार का यही सिद्धांत है कि लोगों को बाटों और उन पर राज करो। फिर बोले कि यह अफसोस जनक है कि सरकार कोई ऐसा कार्य नहीं कर रही जिससे देश में शांति की धारा बहने का काम हो, सुकून मिलता हो और रोजगार की बात होती हो।

पहलगांव हमले के बताया महापाप

इससे आगे मौलाना मदनी ने कहा कि आज देश में सिर्फ मुस्लिम ही नहीं गैर मुस्लिम जन भी परेशान हैं। देश में कुछ भी होता है तो उसे धर्म के मुद्दे से जोड़कर देखा जाता है। एक सवाल के जवाब में बोले कि, पहलगाम आतंकी हमला निर्दोषों की हत्या है और निर्दोषों की हत्या से पड़ा कोई पाप नहीं है। सरकार ने जो कार्रवाई की और आतंकियों के घर पर बुलडोजर चला दिया उस पर महमूद मदनी कहते हैं कि अगर यह कार्रवाई सिर्फ शक के आधार पर की गई है तो कोई भी व्यक्ति इसको उचित नहीं ठहराएगा। फिर सवाल उठाते हुए बोले कि एक ऐसा पर्यटन स्थल जहां पर तीन हजार से अधिक सैलानी घूम रहे थे वहां कोई सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं थी। जब कश्मीर में चप्पे चप्पे पर सेना तैनात है तो वहां आतंकी पहुंचे कैसे ? इस सवाल को क्यों नहीं उठाया जा रहा। मौलाना मदनी ने यह भी कहा कि हमले के डेढ़ घंटे बाद तक भी पुलिस वहां नहीं पहुंची। स्थानीय लोगों ने घायलों की मदद की, उन्हें अस्पताल पहुंचाया ऐसे में यह सवाल उठाना चाहिए कि सुरक्षा इतनी कमजोर कैसे हुई ? वक्फ कानून के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस कानून को हम धर्म में हस्तक्षेप मान रहे हैं। इस कानून में जो बदलाव किया गया है उससे हम यही मान रहे हैं कि सरकार हमारी संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है।

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