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सतना

ताला लगे मंदिर में रोज रात को शारदा माता को कौन चढ़ा जाता फूल! आज तक नहीं सुलझा ये रहस्य

Sharda Mata Maihar- पुजारी बताते हैं कि पर्वत पर स्थित मंदिर में रोज रात को ताला लगा देते हैं और सुबह जब कपाट खोलते हैं तो माता के चरणों में फूल चढ़ा मिलता है।

सतनाMar 30, 2025 / 06:41 pm

deepak deewan

Miracle of offering flowers to Sharda Mata every night in a locked temple

Miracle of offering flowers to Sharda Mata every night in a locked temple

Sharda Mata Maihar चैत्र नवरात्रि के पहले दिन एमपी के सभी देवी धामों पर भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है। हमेशा की तरह सबसे ज्यादा श्रद्धालु शारदा माता के दर्शन के लिए मैहर पहुंच रहे हैं। मैहर माता मंदिर को 51 शक्तिपीठों में शामिल किया गया है। यहां नवरात्रि पर मेला भी लगता है। भक्तों की सुविधा के लिए इस बार रेलवे ने कई नई ट्रेनों का मैहर में ठहराव दिया है। शारदा माता का मंदिर सिद्ध स्थलों में माना जाता है। मंदिर और प्रतिमा से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। पुजारी बताते हैं कि पर्वत पर स्थित मंदिर में रोज रात को ताला लगा देते हैं और सुबह जब कपाट खोलते हैं तो माता के चरणों में फूल चढ़ा मिलता है। ऐसे अनेक रहस्य हैं जोकि आज तक अनसुलझे हैं।
देश-दुनिया की तरह एमपी में भी च़़ैत्र नवरात्रि की धूम शुरु हो चुकी है। दुर्गा माता के दर्शन और पूजन के लिए प्रदेशभर के देवी मंदिरों में भक्त उमड़े हैं। मैहर के विश्व विख्यात शारदा माता मंदिर में भी दर्शन के लिए पहुंचे भक्तों की लंबी लाइन लगी है।
मां शारदा का यह प्रसिद्ध मंदिर 600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। त्रिकूट पर्वत पर बने मंदिर में सुबह पट खुलते ही भक्त दर्शन के लिए टूट पड़े। भक्तों की सुविधा के लिए सुबह 3 बजे से ही मंदिर के पट खोल दिए गए थे। नवरात्र के दौरान यहां 12 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है।
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मंदिर और भक्तों के लिए इस बार कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं। परिसर में सीसीटीवी लगाए गए हैं और ड्रोन कैमरों से भी निगरानी की जा रही है।
मां शारदा धाम को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यहां मां सती का हार गिरा था। इसलिए धाम को मईया का हार यानि मैहर का नाम दिया गया।

शारदा माता मंदिर से कई मान्यताएं और किंवदंतियां जुड़ी हुई हैं। मंदिर के पुजारी और समिति सदस्य बताते हैं कि रात में ताला लगाने के बाद जब वहां कोई नहीं रहता तब भी मंदिर से घंटी बजने और आरती की आवाज आती है।
खास बात तो यह है कि सुबह जब पुजारी मंदिर के ताला खोलकर दरवाजे खोलते हैं तो उन्हें माता के चरणों में फूल चढ़े मिलते हैं। पंडित, पुजारी और स्थानीय लोग कहते हैं कि कई बार कोशिश करने के बाद भी आज तक यह रहस्य कोई नहीं सुलझा सका।
कहा जाता है कि आदिगुरू शंकराचार्य ने यहां सबसे पहले मां शारदा की पूजा की थी। मंदिर में स्थापित शारदा माता की प्रतिमा करीब 1500 साल पुरानी है।

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