तीन सरकारी नंबरों पर खेल जानकारी के अनुसार कोठी तहसील के नयागांव पंचायत में आदिवासियों और अनुसूचित जाति के लोगों को आराजी क्रमांक 33, 27 और 97 में ढाई एकड़ और पांच एकड़ के पट्टे दिए गए हैं। इन सभी के पास पट्टे तो रखे हैं लेकिन आज तक राजस्व विभाग ने इनकी जमीन की तरमीम नहीं की और जमीन नहीं बताई। लिहाजा आदिवासी खाली पड़ी सरकारी जमीनों पर खेती करते रहे। इस बीच इन जमीनों के बीच से गुजरने वाली सतना-चित्रकूट रोड के फोर लेन होने की जानकारी सामने आई। इसे लेकर यहां पर भू-माफिया सक्रिय हो गया है। बड़े पैमाने पर आदिवासियों को झांसा देकर उनकी कागजात हासिल किए जा रहे हैं, इसके एवज में औने पौने दाम देकर रजिस्ट्री करवाई जा रही है। इसके बाद मैदानी राजस्व अमले की मिली भगत से अहस्तांतरणीय जमीनों का नामांतरण भी करवाया जा रहा है। इससे बड़ा खेल यह है कि नामांतरण किसी और नंबर का हो रहा है और जमीन तरमीम किसी और नंबर की हो रही है।
आज तक पता नहीं आदिवासियों को अपनी जमीन पट्टा वितरण के बाद राजस्व अमले ने आदिवासियों को कभी उनकी जमीन का सीमांकन करके कब्जा नहीं दिलवाया। न ही नक्शे में वह जमीन तरमीम चिन्हित की। लिहाजा आदिवासी कागजों में भूमि स्वामी बने रहे लेकिन भौतिक तौर पर इन जमीनों पर कब्जा नहीं मिली। अब इन्ही जमीनों को औने पौने दामों में खरीदा बेचा जा रहा है।
इस तरह खेल नयागांव के आदिवासी हंसा कोल को आराजी क्रमांक 97 में पट्टा दिया गया था। इसे झांसा देकर इसकी जमीन की बिना कलेक्टर की अनुमति के रजिस्ट्री करवा ली गई। अब इस जमीन का नामांतरण भी हो गया। इसके बाद इस जमीन की तरमीम 27 नंबर पर कर दी गई है। ऐसे दर्जनों केस यहां पर हाल के महीनों में किए गए हैं। सतना के कई जमीन कारोबारियों ने यहां इस तरह से जमीनें आदिवासियों से हासिल कर ली हैं।
जांच की मांग जनपद सदस्य दिव्या मुकेश तिवारी ने कहा कि नयागांव में आदिवासियों के साथ बड़ा छल हो रहा है। अपनी जमीन खोने के बाद आदिवासी अब परेशान घूम रहे हैं। यह जमीने फर्जीवाड़ा करके हथियाई गई है। तहसीलदार को ज्ञापन दिया गया है। अगले दिन कलेक्टर से मुलाकात कर मामले की जांच की मांग की जाएगी।