यह आंकड़े सोमवार को जिला पंचायत सभाकक्ष में कलेक्टर की अध्यक्षता में राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत आयोजित जिला स्तरीय समन्वय समिति की बैठक में मध्य प्रदेश वॉलन्ट्री हेल्थ एसोसिएशन के परियोजना समन्वयक आनंद वर्मा ने रखे। उन्होंने बताया कि सिगरेट का सेवन करने वाले एक व्यक्ति का औसत मासिक व्यय 468 रुपए होता है और औसत सलाना व्यय 5616 है और तीस सालों का औसत व्यय निकालें तो एक व्यक्ति सिगरेट पीने में करीब 1 लाख 68 हजार 480 रुपए व्यय करता है। यदि सिगरेट का सेवन करने वाले सभी 7 लाख व्यक्तियों का तीस साल का औसत व्यय निकालें तो 11 हजार 793 करोड़ 60 लाख पर पहुंच जाता है। इसी प्रकार बीड़ी का सेवन करने वाले एक व्यक्ति का औसत मासिक व्यय 117 रुपए और औसत वार्षिक व्यय 1404 रुपए है। अगर तीस साल का व्यय देखें तो एक व्यक्ति बीड़ी के सेवन में तीस वर्ष में करीब 42,120 रुपए खर्च कर देता है। यदि मध्यप्रदेश के बीड़ी का सेवन करने वाले सभी 50 लाख व्यक्तियों का तीस साल का औसत व्यय निकालें तो यह आंकड़ा 21 हजार 60 करोड़ से भी अधिक पहुंच जाता है। धन की इस बर्बादी और धूम्रपान से होने वाले शारीरिक नुकसान को रोकने के लिए जरूरी है कि हर जगह सख्ती की जाए। बैठक में तम्बाकू के सेवन से होने वाले दुष्परिणामों की जानकारी दी गई, साथ ही नशा त्यागने के लिए नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाने के निर्देश दिए गए।
बना है सख्त कानून, फिर भी कार्रवाई नहीं
तंबाकू के विरुद्ध कानून तंबाकू सेवन को प्राप्त सामाजिक मान्यता को समाप्त करने की दिशा में एक प्रभावी कदम है। सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनियमन) अधिनियम, 2003 में निहित प्रावधानों के अनुसार तंबाकू उत्पादक एवं उसके उत्पाद बनाने वाले (निर्माता) को दो साल की सजा या 5000 रुपए तक जुर्माना या दोंनों हो सकते हैं। उन्हें दोबारा ऐसा करते पाए जाने पर 5 साल की सजा या 10000 रुपए तक जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। शैक्षणिक संस्थानों के परिसर से 100 यार्ड की दूरी तक तंबाकू उत्पाद बेचने पर प्रतिबंध है। इस अधिनियम के अनुसार 18 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी प्रकार का तंबाकूृ उत्पाद नहीं बेचा जा सकता और वैधानिक चेतावनी अंग्रेजी तथा कोई एक भारतीय भाषा में दी जानी चाहिए। तंबाकू उत्पाद बनाने वाली कोई भी कंपनी खेलों तथा सांस्कृतिक आयोजनों को प्रायोजित नहीं कर सकेगी। नियमों के अनुसार निकोटिन एवं टार अवयव तथा उनकी अधिकतम स्वीकृत मात्रा पैकेटों पर दर्शाया जाना चाहिए। यह एक्ट सिगरेट, सिगार, चिरूट, बीड़ी, हुक्का चबाने वाली तंबाकू, पान मसाला और गुटखा या किसी भी अन्य चबाकर खाए जाने वाले उत्पाद जिसमें तंबाकू हो उन सभी पर लागू होता है।
कलेक्टर ने दिए यह सख्त निर्देश
बैठक में कलेक्टर बालागुरु के ने कहा कि राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत गठित जिला स्तरीय समिति के सदस्य भी अपने-अपने कार्य क्षेत्र में तम्बाकू मुक्त समाज बनाने में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करें। उन्होंने कहा कि वह कोटपा एक्ट -2003 के नियमों का कड़ाई से पालन करवाना सुनिश्चित करें। इसके तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषेध का चिन्ह वाला बोर्ड एवं फ्लैक्स लगाए जाएं। उन्होंने कोटपा एक्ट के उल्लंघन पर जुर्माने की कार्रवाई भी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। बैठक में जिला पंचायत सीईओ डॉ. नेहा जैन, अपर कलेक्टर वृंदावन सिंह, मध्यप्रदेश वॉलन्ट्री हेल्थ एसोसिएशन के परियोजना समन्वयक आनंद वर्मा उपस्थित थे।