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Malaria day 2025: मस्तिष्क मलेरिया है सबसे खतरनाक प्रजाति, जान जाने का भी बनते हैं कारण

मच्छर कैसे न मारे डंक, सफाई व्यवस्थाएं हैं चरमराई, नालियों की नहीं होती सफाई

सिवनीApr 25, 2025 / 10:08 am

ashish mishra

mosquitoes

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सिवनी. शहर हो या ग्रामीण क्षेत्र हर जगह सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है। नालियां बजबजा रही हैं और साफ-सफाई औपचारिकता बनकर रह गई है। इसके अलावा खाली प्लांटों में फैली गंदगी, घरों एवं आसपास गंदगी से शाम होते मच्छरों का आतंक शुरु हो जाता है। मच्छर पनपने से मलेरिया, डेंगू सहित अन्य बीमारी हो रही है। बारिश में तो स्थिति और खराब हो जाती है। सरकारी आंकड़ों की बात करें तो जिले में साल दर साल मलेरिया मरीजों की संख्या घट-बढ़ रही है। बीते वर्ष जिले में मलेरिया और डेंगू का प्रकोप काफी बढ़ गया था। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में डेंगू और मलेरिया के मामले काफी आए। वहीं शहरी इलाकों में भी ये मच्छरों के डंक से लोग बीमार हुए। वर्ष 2023 में 121 लोग एवं वर्ष 2024 में 106 लोग मलेरिया पॉजिटिव पाए गए। बड़ी बात यह है कि अब जिले में मलेरिया के चार प्रजातियों में से सबसे खतरनाकर प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम(पीएफ) प्रजाति से भी लोग संक्रमित होने लगे हैं। इसे मस्तिष्क मलेरिया भी कहा जाता है। वर्ष 2023 में 101 एवं वर्ष 2024 में 67 लोग मस्तिष्क मलेरिया से पीडि़त पाए गए। इस बीमारी में मरीज को बुखार आता-जाता है या लगतार बना रहता है। इसके अलावा ठंड लगना, अत्यधिक पसीना आना, अस्वस्थता, मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द, सिरदर्द, भूख में कमी, दस्त, पेट में दर्द सहित अन्य लक्षण दिखाई देते हैं।
वर्ष 2014 में संख्या हुई थी हजार के पार
मलेरिया विभाग के आंकड़ों की मानें तो पिछले पांच सालों में मच्छर से काटने से होने वाली खतरनाक बीमारी मलेरिया के मरीजों की संख्या में घट-बढ़ रही है। वहीं वर्ष 2014 में जिले में सबसे अधिक1569 लोगों में मलेरिया की पुष्टि हुई थी। इसके बाद वर्ष 2015 में 1199 लोग मलेरिया पॉजिटिव पाए गए। इसके बाद साल दर साल संख्या घटती गई। वर्ष 2016 में 601 लोगों में, वर्ष 2017 में 384 लोगों में, वर्ष 2018 में 483 लोगों में, वर्ष 2019 में 102 लोगों में मलेरिया की पुष्टि हुई। इसके बाद लोगों में जागरुकता कहें या फिर विभाग की सक्रियता ग्राफ काफी गिर गया। वर्ष 2020 में महज 21 लाोगों में मलेरिया की पुष्टि हुई। वर्ष 2021 में 65 और वर्ष 2022 में 20 लोगों में मलेरिया की पुष्टि हुई। इसके बाद से फिर से लगातार ग्राफ बढ़ रहा है। वर्ष 2023 में 121 लोग एवं वर्ष 2024 में 106 लोग मलेरिया पॉजिटिव पाए गए। मलेरिया के साथ ही जिले में डेंगू के मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है।
विभाग कर रहा मच्छरदानी का वितरण
लोगों को मलेरिया से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग हर वर्ष गांवों में मच्छरदानी का वितरण भी कर रहा है। इसके अलावा फॉगिंग सहित अन्य उपाय करने के भी दावे किए जा रहे हैं। वर्ष 2024 में जिले के चिन्हित 371 गांवों में 180850 लोगों को मच्छरों से बचने के लिए मेडीकेटेड मच्छरदानी का वितरण किया गया था।
ऐसे करें मलेरिया से बचाव
मलेरिया से बचाव के लिए मच्छरों के काटने से बचना सबसे महत्वपूर्ण है। इसके लिए आप मच्छरदानी का उपयोग कर सकते हैं। लंबी आस्तीन के कपड़े पहन सकते हैं और मच्छर भगाने वाले स्प्रे का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा घर के आसपास पानी जमा न होने दें और सफाई का ध्यान रखें। किसी भी तरह का लक्षण दिखाई देने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। मलेरिया को लेकर लापरवाही बरतने से स्थिति काफी गंभीर हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि खेत, तालाब, कॉलोनी के खुले प्लाटों, कई दिनों तक पानी जमा होने, गंदगी आदि से मच्छर का लार्वा तेजी से फैलता है। बाद में यह लार्वा मच्छर बनकर रोग फैलाता है। मलेरिया से बचाव के लिए घर के आसपास जल जमा न होने दें। पानी रूकने न दें। कूलर, फूलदान सहित अन्य जगहों की सफाई सप्ताह में एक दिन अवश्य करें।
पिछले साल आठ गांव संवेदनशील
वर्ष 2024 में केवलारी विकासखंड के तुरगा, तेंदुटोला, मसानबर्रा, खापा सहित आठ गांव को मलेरिया के लिहाज से संवेदनशील माना गया था।

फैक्ट फाइल

वर्ष जनसंख्या मरीजों की जांच पॉजिटिव पीएफ
2020 1599791 136790 21 9
2021 1627375 159935 65 40
2022 1630132 209312 20 15
2023 1680664 229527 121 101
2024 1680664 234823 106 67
इनका कहना है…
मलेरिया के मरीजों की संख्या बीते कुछ सालों से घट-बढ़ रही है। लार्वा नष्ट करने का अभियान समय-समय पर चला रहे हैं। मच्छरदानी का भी वितरण किया जा रहा है। इसके अलावा जागरुकता अभियान भी चलाया जाता है।
जहां भी 8-10 दिनों से पानी भरा हुआ है। वहां मच्छर के की संभावना है। ये ही मच्छर डेंगू-मलेरिया का संक्रमण का कारण बनते हैं। लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है। मच्छरदानी का उपयोग करें।
रामजी भलावी, मलेरिया अधिकारी, सिवनी

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