बांध से इंटकवेल की दूरी अधिक होने के साथ ही कैनाल बनाने में भी खानापूर्ति की गई। परिणाम यह है कि अब फिर से कैनाल बनाने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि इंटकवेल तक कैनाल का सही से निर्माण किया जाना चाहिए था। निर्माण कार्य में कई तकनीकी खामी है।
भीमगढ़ बांध की ऊंचाई 523 मीटर है। जबकि बाढ़ का पानी 521.60 मीटर तक आता है। सिंचाई के लिए पानी 519.38 मीटर तक भरा जाता है। स्लूस गेट बैंड लेवल 506 मीटर है, जिसके बाद पानी बांध के बाहर नहीं जाता।
जबकि इंटकवेल का निर्माण 506 मीटर से अधिक ऊंचाई पर किया गया हैए जबकि पानी 503 मीटर से उठाया जाना था। इसके अलावा इंटकवेल तक पानी पहुंचाने के लिए बनाई गई नाली भी तकनीकी मानकों के अनुसार नहीं है। निर्माण के समय बरती गई इस लापरवाही का खामियाजा अब गर्मी के सीजन में 200 से अधिक ग्रामों की पेयजल व्यवस्था को प्रभावित कर रहा है।
जल स्तर कम हो जाने के बाद निर्माण कंपनी मौके पर पहुंचकर सर्वे कर रही है और इंटकवेल तक बांध से नाली खोदकर पानी लाने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि इस योजना में सरकार के द्वारा जल जीवन मिशन योजना के तहत पेयजल प्रदाय के लिए करोड़ों रुपए खर्च किया गया है।
बांध में सबसे नीचे वाला जो लेबल होता है उससे ढाई मीटर ऊपर पानी हमारे पास है। बांध के पानी के सबसे नीचे के लेबल से ढाई मीटर नीचे से इंटकवेल तक कैनाल बनाना था। जिससे प्रर्याप्त पानी मिल सकता था। यह कार्य कैसा हुआ इस बारे में जानकारी नहीं है। बांध में पानी की कोई कमी नहीं है।
विनोइ उइके, कार्यपालन यंत्री, जल संसाधन विभाग, केवलारी