ठंडे बस्ते में प्लानिंग
नगरपालिका की माने तो आवारा श्वानों की नसबंदी के लिए नगरपालिका ने कुछ दिनों पहले तैयारी शुरू की थी, किसी एजेंसी बुलाने टेंडर प्रक्रिया भी की गई, लेकिन एक भी एजेंसी नहीं आई। वहीं डॉग बाइट के बढ़ते मामले को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग सजग हो गया है और पर्याप्त मात्रा में एंटी रैबिज का स्टॉक किए हुए है। इसके साथ ही जिले के स्वास्थ्य केन्द्रों में भी इसकी सप्लाई समय-समय पर कर की जाती है, जिससे स्टॉक की कमी न हो सके। अस्पताल में हर महीने 400-500 एंटी रैबिज की खपत होना बताया जा रहा है। जबकि निजी अस्पताल में आने वाले मरीजों को बाजार से खरीदकर लगवाना पड़ रहा है।नाखून और खरोच लगने पर सतर्क, पहुंच रहे अस्पताल
अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार हर रोज 8-10 मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। इसमें कुछ तो गंभीर रूप से जख्मी होकर आते हैं तो अधिकांश लोगों को श्वान के नाखून या हल्के स्कै्रच लगने के कारण रैबिज लगवाने के लिए लाया जाता है। डॉग बाइट के मामले में ग्रामीण इलाकों में ज्यादा है। ग्रामीण क्षेत्र से आए मरीजों में बच्चों की संया अधिक है, जिन्हें डॉग के नाखून लगने व स्कै्र च आने पर लाया जाता है। चिकित्सकों की सलाह के बाद ऐसे मरीजों को रैबिज का इंजेक्शन दिया जता है। जिला अस्पताल के साथ ही मेडिकल कॉलेज व निजी अस्पतालों में भी डॉग बाइट के मामले पहुंचते हैं।पिछले तीन महीने में डॉग बाइट की स्थिति
दिसबर 263जनवरी 359
फरवरी 295
मार्च 249
अस्पताल के अनुसार डॉग बाइट के साथ नाखून लगने व स्क्रैच लगने पर इंजेक्शन दिया जाता है। इनका कहना
डॉग बाइट के मामले को देखते हुए जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में एंटी रैबिज के इजेक्शन की उपलब्धता कराई गई है। जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों को नि:शुल्क इलाज किया जाता है। डॉग बाइट के शिकार मरीजों को चिकित्सक के सलाह अनुसार पूरा कोर्स लेना जरूरी है।
- डॉ. राजेश मिश्रा, सीएमएचओ
- अक्षत बुंदेला, सीएमओ नगरपालिका शहडोल