हालांकि घड़ियाल के बच्चों को चंबल में रिलीज करने के दौरान पिछले वर्षों में भी टांसमीटर लगाए गए हैं, लेकिन बताया जा रहा है कि अभी तक मुरैना जिले की सीमा में ही रिलीज किए जाने वाले घडिय़ाल के बच्चों के टांसमीटर लगते थे और अब ये पहली बार है, जब श्योपुर जिले की सीमा में छोड़े जा रहे 20 बच्चों में ट्रांसमीटर लगाए जाएंगे।
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जिस तरह चीता, टाइगर आदि वन्यजीव को ट्रेक करने के लिए गले में रेडियो कॉलर लगाया जाता है, उसकी प्रकार घड़ियाल और मगर जैसे जलीय जीवों की पूंछ में रेडियो टेलीमेटरी ट्रांसमीटर लगाया जाता है। इससे संबंधित घड़ियाल की लोकेशन ट्रैस होती रहता है और उसने कहां कहां मूवमेंट किया, ये जानकारी एकत्रित होती है। बताया गया है कि रेडियो टेलीमेटरी ट्रांसमीटर की बेटरी 2 साल तक चलती है, लिहाजा घड़ियाल के बच्चों के पूंछ में ये ट्रांसमीटर लगाकर उसका अध्ययन किया जाएगा।
इस सीजन में छोड़े जाने हैं 98 बच्चे
मुरैना के देवरी घड़ियाल केंद्र से घड़ियाल के बच्चों केा चंबल में रिलीज किया जाता है। इस वर्ष भी 98 घड़ियाली बच्चों को छोड़ने का लक्ष्य था, जिसमें से अभी तक 78 बच्चे मुरैना जिले की सीमा में छोड़े जा चुके हैं। अब शेष 20 बच्चे 6 फरवरी को श्योपुर जिले की सीमा में पाली घाट पर छोड़े जाएंगे। इन्हीं में ट्रांसमीटर लगाए जाएंगे। इससे पहले 13, 19 व 29 जनवरी केा मुरैना जिले की घाटों पर बच्चे छोड़े गए थे।
6 से शुरू होगा सर्वे
राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्य में हर साल जलीय जीवों का सर्वे किया जाता है। इसी के तहत वर्ष 2025 का सर्वे 6 फरवरी से होगा। जिले के पाली घाट पर 20 बच्चों को रिलीज किए जाने के बाद सर्वे शुरू होगा और 15 दिन तक चलेगा। जिसमें घड़ियाल मगर और डॉल्फिन की गिनती की जाएगी। 6 फरवरी को चंबल नदी के पाली घाट पर 20 घड़ियाल के बच्चे छोड़े जाएंगे, जिन पर ट्रांसमीटर भी लगाए जाएंगे, ताकि उनके मूवमेंट पर निगरानी रखी जा सके। वहीं 6 फरवरी से ही जलीय जीवों का सर्वे भी शुरू होगा।- सुजीत जे पाटिल, डीएफओ, चंबल अभयारण्य मुरैना