तालाब की जमीन पर लाल मुरम माफिया ने बड़े-बड़े गड्ढे खोदकर खाइयां बना डाली हैं, जिससे इसका प्राकृतिक स्वरूप खत्म होता जा रहा है। इतना ही नहीं, कुछ लोगों ने तालाब की जमीन पर कच्चे-पक्के मकान बना लिए हैं, जिनमें चोरी की बिजली से रोशनी की जा रही है। हद तो यह है कि कुछ लोगों ने तालाब की जमीन पर खेती तक कर डाली है, जिससे वर्तमान में वहां फसलें लहलहा रही हैं। ऐसे में मनियर तालाब अपने अस्तित्व की आखिरी लड़ाई लड़ रहा है।
भुजरिया तालाब भी नहीं बचा अतिक्रमण से
शहर के तालाबों पर अतिक्रमण का कहर केवल मनियर तालाब तक सीमित नहीं है। भुजरिया तालाब पर भी अतिक्रमणकारियों ने कब्जा जमा लिया है। यहां पर भूमाफिया ने पक्के निर्माण कर लिए हैं और तालाब की प्राकृतिक पार पर मकान बना दिए हैं। प्रशासन की अनदेखी के चलते तालाबों को मुक्त कराने के लिए हाईकोर्ट का आदेश और कलेक्टर के निर्देश महज कागजी साबित हो रहे हैं।
सूखाग्रस्त हो सकता है शिवपुरी
मनियर और भुजरिया तालाब खत्म होने की कगार पर हैं। जैसे-जैसे ये जलस्रोत नष्ट हो रहे हैं, वैसे-वैसे शहर का भू-जल स्तर भी लगातार गिरता जा रहा है। यदि यही हालात जारी रहे तो शिवपुरी में पानी का संकट इतना गंभीर हो जाएगा कि यहां के नागरिक बूंद-बूंद पानी के लिए तरस जाएंगे। गौरतलब है कि शिवपुरी को मड़ीखेड़ा योजना के तहत पानी की सप्लाई हो रही है, जिससे आम आदमी को दो-चार दिन में पानी मिल पाता है। यदि तालाब इसी तरह खत्म होते गए, तो भविष्य में स्थिति और भयावह हो सकती है और लोगों को पानी के लिए पलायन तक करना पड़ सकता है।
कलेक्टर बोले- हटेगा अतिक्रमण
इस पूरे मामले पर कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने कहा, “दोनों तालाबों से अतिक्रमण हटाने के लिए अधीनस्थ अधिकारियों को निर्देशित किया जाएगा। पिछली बार भी मनियर तालाब पर अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन कहां कमी रह गई, यह जांच कराएंगे।” 40 बीघा का तालाब सिमटकर रह गया 20 बीघा में
स्थानीय बुजुर्गों का कहना है कि पहले मनियर तालाब 40 बीघा में फैला हुआ था, लेकिन भूमाफिया और अतिक्रमणकारियों ने इसे धीरे-धीरे कब्जा कर मात्र 20 बीघा तक समेट दिया है। अतिक्रमण के लिए भूमाफिया के साथ-साथ राजस्व विभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी जिम्मेदार हैं। मनियर तालाब का स्वरूप बदल चुका है और यह अब मैदान में परिवर्तित हो गया है। शहर के जागरूक लोगों का मानना है कि यदि यही हालात बने रहे, तो एक दिन शिवपुरी के सभी जलस्रोत समाप्त हो जाएंगे और प्रशासन केवल जल बचाओ अभियान चलाने तक ही सीमित रह जाएगा।
18 तालाबों में से बचे सिर्फ दो
जानकारी के अनुसार, शिवपुरी शहर में कभी 18 तालाब हुआ करते थे, लेकिन भूमाफिया और प्रशासन की अनदेखी के चलते आज महज दो ही तालाब बचे हैं, जबकि बाकी तालाब अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुके हैं।
भुजरिया तालाब भी कब्जे की जद में
भुजरिया तालाब, जो 7 बीघा में फैला हुआ था और शहर के जल स्तर को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता था, अब भूमाफिया के कब्जे में है। तालाब के किनारों पर लोगों ने घर बना लिए हैं, और बाकी बची जमीन पर पेड़ लगाकर कब्जा कर लिया गया है। रहवासी तालाब में कचरा और गंदगी फेंक रहे हैं, जिससे इसका पानी प्रदूषित हो रहा है। इसके अलावा, तालाब जलकुंभी से भी ढक गया है, जिससे इसका प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है। पत्रिका का प्रयास जीवित रखे हुए है तालाब
गौरतलब है कि पत्रिका ने दो बार अभियान चलाकर भुजरिया तालाब की सफाई और जीर्णोद्धार कराया था, जिससे यह तालाब अब तक जीवित है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो अतिक्रमणकारियों के आगे यह तालाब भी पूरी तरह खत्म हो जाएगा।
शहरवासियों और प्रशासन को मिलकर बचाने होंगे तालाब
शहर में जल संकट को टालने के लिए प्रशासन और नागरिकों को मिलकर तालाबों को बचाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो शिवपुरी के जलस्रोत पूरी तरह समाप्त हो जाएंगे, जिससे भविष्य में यहां पानी के लिए त्राहिमाम मच सकता है।