चार गुना बढ़ गई भक्तों की तादाद खाटूश्यामजी में कोरोना के बाद श्रद्धालुओं की संख्या तीन से चार गुना तक बढ़ गई है। पर्यटन विभाग के अनुसार 2023 में करीब 17 करोड़ पर्यटक राजस्थान पहुंचे थे। इनमें से 15 करोड़ से ज्यादा धार्मिक स्थानों पर गए। इनमें से सबसे ज्यादा खाटूश्यामजी पहुंचे। श्रद्धालुओं की तादाद को देखें तो खाटूश्यामजी का धार्मिक पर्यटन पूरे प्रदेश के पर्यटन को टक्कर दे रहा है।
फैक्ट फाइल …. यूं बढ़ रहा धार्मिक पर्यटन 2019 : 47 लाख श्रद्धालु 2022 : 1 करोड़ 25 लाख 2024 : 2.50 करोड़ – खाटूश्यामजी में रियल एस्टेट कारोबार बढ़ा : 15 गुना तक
– सबसे ज्यादा श्रद्धालु : यूपी, हरियाणा, दिल्ली, मध्यप्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, पंजाब – 35 हजार से अधिक लोगों को मिल रहा रोजगार – 5 से 7 लाख भक्त मासिक मेलों में आने वाले
इस तरह बदल सकती है तस्वीर 1. रींगस और मंढा मार्ग पर बने फोर लेन : रींगस-खाटू और मंढा खाटू रोड पर यातायात का दबाव लगातार बढ़ रहा है। हर शनिवार, रविवार व मासिक मेले तथा मुख्य मेले के समय दोनों रूट पर भारी आवागमन की वजह से लंबा जाम लगता है। इससे जयपुर-बीकानेर हाई-वे पर भी यातायात प्रभावित होता है। मार्ग पर रात को अंधेरा होने के कारण श्रद्धालुओं को भय के साये में यात्रा करनी पड़ती है। ऐसे में दोनों मार्गों को फोरलेन करने के साथ सुरक्षित पदयात्री मार्ग और रोशनी की व्यवस्था बेहद जरूरी है।
2. जाम से निजात व सुगम यातायात : खाटू में आए दिन जाम की स्थिति बनी रहती है। कस्बे में तोरण द्वार से लेकर अलोदा तिराहा, पूरणजी की मंढी से लेकर मंढा चौराहा, मंढा चौराहा से लेकर लामियां चौराहा, रींगस रोड से खटीकान मोहल्ला से केरपुरा तिराहा, लाला मांगेराम धर्मशाला से दांता और लामियां की ओर जाने वाले रास्ते पर जाम के हालात रहते हैं। खाटू से लामियां, रेनवाल, अजमेर, एमपी की ओर आने-जाने के लिए खाटू से अस्पताल चौराहा, शनि मंदिर, लामियां वाला रास्ता है। वहीं दूसरा रास्ता गुणगान नगर, पुराने बिजली ग्रिड, होटल खाटूश्यामजी पैलेस, केरपुरा तिराहा है, जो मुख्य मेला पदयात्रा मार्ग भी है। पहले वाले रास्ते पर पदयात्रियों की भारी आवाजाही के बीच छोटे से लेकर भारी वाहन तक गुजरते हैं। इस रास्ते पर पिछले साल शनि मंदिर के पास बारिश के दिनों में बिजली के तारों से संपर्क में आने से बस चालक की मौत हो चुकी। दूसरे रास्ते पर कई जगह संकरी गली होने से बड़े वाहन नहीं आ सकते। कई बार अजमेर की ओर से जाने वाली बसों व ट्रकों को वापस लौटना पड़ता है। ऐसे में ट्रेफिक जाम से निजात व सुगम यातायात के लिए पहले रिंग रोड बनानी जरूरी है।
3. नालियां हो रही चौक, चाहिए सीवरेज कस्बे में हजारों की तादाद में धर्मशाला, होटल, गेस्ट हाउस बने हुए हैं। जिनसे रोजाना भारी मात्रा में सीवेज निकलता है, मगर वर्तमान में जो नालियां हैं, वे निकासी के हिसाब से बेहद छोटी है। करीब 8 करोड़ की लागत से नाले बनवाए, लेकिन वह भी मापदंड के हिसाब से नहीं होने से आए दिन चौक होते रहते हैं। ऐसे में गंदगी सड़क पर आ जाती है। बारिश के दिनों में तो हालात ज्यादा चिंताजनक होते हैं। स्थानीय लोग जनप्रतिनिधियों व आला अधिकारियों से गुहार लगा चुके, मगर सीवरेज पर काम शुरू नहीं हुआ।
4. गिरता भूजल स्तर, नहरी योजना से बुझे प्यास खाटू में बड़े स्तर पर हो रहे जल दोहन के चलते यहां का भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है। रोजाना जमीन को छलनी कर पानी निकालने के लिए पाइप गाड़े जा रहे हैं। ऐसे श्याम नगरी को नहरी पानी की दरकार है। हालात यह है कि कई बार लोगों को टैंकर सप्लाई के भरोसे रहना पड़ता है।
5. उप जिला अस्पताल के नए भवन की जगह हो तय नगर में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने उप जिला अस्पताल की सौगात देकर नए भवन निर्माण के लिए 40 करोड़ रुपए स्वीकृत किए। इसके लिए सांवलपुरा रोड पर जगह भी तय कर दी। लेकिन अब जमीन को लेकर सियासत का खेल जारी है। भाजपा नेताओं ने कांग्रेसराज में चिह्नित जमीन को लेकर भूमाफिया को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाते हुए स्थान बदलने की मांग की है। जिसके चलते नए भवन का निर्माण अटक गया। आमजन का कहना है कि वर्तमान अस्पताल कस्बे के अंदर है, जहां हर समय जाम लगा रहता है। ऐसे में मरीज को वहां ले जाना उसकी जान को जोखिम में डालना है। कई बार गंभीर रोगी या घायल को लेकर आने वाले रोगी वाहन भी जाम में फंस जाते हैं।
6. बिजली प्रबंधन में सुधार की दरकार श्याम नगरी में सड़क के बीच खड़े बिजली के पोल हादसों को न्योता दे रहे हैं। रींगस रोड से तोरण द्वार, मंढा चौराहा, अलोदा तिराहा से धूड मंडी तक सड़क पर बिजली के पोल और ट्रांसफार्मर लगे हुए हैं। झूलते तारों को भूमिगत करने की दरकार है। इधर बिजली विभाग के अधिकारी 33 केवी लाइन की डीपीआर बनने के बाद ही पोल शिफ्ट करने की बात कह रहे हैं। जबकि सानिवि यहां सड़क बना चुका है। ऐसे में पोल शिफ्ट होने पर फिर से करोड़ों की सड़क को तोड़ा जाएगा।
7. चारों जोन में हो अलग-अलग पार्किंग : श्याम नगरी में बिगड़ती व्यवस्था की प्रमुख वजह पार्किंग स्थल भी है। यहां यदि चारों प्रमुख मार्ग पर बड़ी पार्किंग तैयार हो जाए तो भक्तों को काफी राहत मिल सकती है। मेले के समय तो यहां पार्किंग के अतिरिक्त इंतजाम किए जाते है, लेकिन फाल्गुनी मेले के समापन के साथ गली-गली में पार्किंग शुरू हो जाती है। इस व्यवस्था में बदलाव होने पर यहां जाम सहित अन्य समस्याओं का आसानी से समाधान हो सकता है।
परेशानी … लोगों की जुबानी ई-रिक्शा की भरमार, हर गली-नुक्कड़ जाम कस्बे के मदनलाल गुमानीरामका ने बताया कि खाटूश्यामजी में करीब 3 हजार से अधिक ई-रिक्शा चल रहे हैं। मंदिर के प्रवेश व निकासी से लेकर कस्बे के अंदर ऐसी कोई गली नहीं, जहां ई-रिक्शा का अतिक्रमण नहीं हो। इनकी तेज गति व ओवरलोड के कारण कई बार हादसे हो चुके। पुलिस व प्रशासन ने बैठकों में इनकी शिकायत मिलने के बाद इनके रूट भी तय किए, लेकिन व्यवस्था व्यवहार में नहीं आई।
कचरा निस्तारण प्लांट के दावे कमजोर पीडब्ल्यूडी मोड के पास रहने वाले बालकिशन वर्मा ने बताया कि यहां पालिका की ओर से बना कचरा निस्तारण प्लांट मुंह चिढा रहा है। पालिका की ओर से पूरे कस्बे का कचरा यहीं डाला जा रहा है। धुएं और दुर्गन्ध से आसपास के लोगों को बीमारियों ने चपेट में ले लिया है। आंधी के दिनों में आग की पतंगों से किसानों की फसलों को नुकसान का भय सताता है। पालिका की ओर से कचरा निस्तारण प्लांट लगाया, जो कुछ माह चलने के बाद बंद हो गया। वहीं प्लांट की जगह अभी तक चार दिवारी भी नहीं हुई।
15 किमी दूरी तय कर पहुंचना पड़ता विद्यालय मंढा रोड निवासी बलबीर सामोता ने बताया कि वे राउमावि लामिंया में प्रधानाचार्य हैं। श्याम नगरी में बिगड़ी यातायात व्यवस्था के चलते विद्यालय तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। कस्बे से लामियां तक जाने के तीन रास्ते हैं। शनिवार व मासिक मेलों के दौरान इन रास्तों पर जाम लगा रहता है। ऐसे में धींगपुर होते हुए जाना पड़ता है। जिसमें 15 किमी अधिक दूरी तय करनी पड़ती है। गत फाल्गुन मेले में बोर्ड परीक्षाएं थी। उस समय पुलिसकर्मियों ने बोर्ड के पेपर लेकर जा रहे शिक्षक को रोक दिया। ऐसे में सरकार शीघ्रता से रिंग रोड बनाए तो समाधान हो।
अतिक्रमण हटे, ताकि बढ़े सरकारी पार्किंग एडवोकेट नीरज खरतला ने बताया कि खाटूश्यामजी में आज भी गोचर व सिवायचक भूमि अतिक्रमण की जद में है। प्रशासन अभियान चलाकर अतिक्रमण हटाए। सरकारी पार्किंग बड़े स्तर पर हो और उसे नियमित रूप से 20-30 रुपए के शुल्क पर चलाया जाए। जहां छाया, पानी, बिजली, सुलभ शौचालय, क्लॉक रूम, रेस्ट रूम आदि की सुविधाएं हो। खाटू में चल रही अवैध पार्किंग में वाहन खड़े करने पर 100 से 200 रुपए तक वसूले जा रहे हैं। जहां यात्रियों के लिए मूलभूत सुविधाएं तक नहीं है।
टॉपिक एक्सपर्ट … देश के अन्य मंदिरों की तरह हो व्यवस्था खाटूश्याम जी उत्तर भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। महाकाल, काशी विश्वनाथ, तिरुपति बालाजी व वैष्णो देवी जैसे देश के कई मंदिरों में भी रोजाना हजारों भक्त पहुंचते हैं। यहां का मॉडल खाटूश्यामजी में लागू होना चाहिए। जिला प्रशासन की ओर से यहां के अधिकारियों के दल को अध्ययन के लिए भी भेजा गया था। लेकिन यह मॉडल अभी तक लागू नहीं हो सका। इस वजह से खाटूश्यामजी में भक्तों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहां रिंग रोड के साथ बड़ी पार्किंग व मंढ़ा मोड से खाटू मार्ग के फोरलेन होने की दरकार ज्यादा है।
इंजी. दीपक कुमार, सीकर