अच्छी बात है कि कल्याण अस्पताल में जून माह में 32 मरीजों की जान एंटी स्नेक वैक्सीन से बचाई गई, जो पिछले साल की तुलना में 20 प्रतिशत ज्यादा है। वहीं अस्पताल के वार्ड और ट्रोमा यूनिट में एंटी रेबीज और एंटी वेमन की वायल हर समय उपलब्ध रहती है।
बारिश में इसलिए बढ़ते हैं ऐसे मामले एसके अस्पताल के ट्रोमा यूनिट प्रभारी फूलचंद जांगिड़ ने बताया कि बारिश में पानी भरने से सांप अपने बिलों से बाहर निकल आते हैं और सूखे स्थानों की तलाश में इंसानी बस्तियों की ओर बढ़ते हैं। सांप के काटने के बाद उसके जहर से इतने लोगों की मौत नहीं होती, जितनी घबराहट के कारण लोग मर जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार करीब 80 फीसदी सांप ऐसे होते हैं, जिनमें जहर नहीं होता है और उनके काटने से किसी की मौत नहीं होती है। वहीं कुछ सांप कम जहरीले होते हैं और उनके काटने के बाद सही समय पर इलाज मिल जाए तो मरीज की जान आसानी से बचाई जा सकती है। चिकित्सकों के अनुसार बारिश में भोजन की कमी और भीगने से श्वान और केनाइन्स प्रजाति के जीवों में चिड़चिड़ापन बढ़ता है, जिससे वे अधिक आक्रामक हो जाते हैं। ऐसे में खेतों या झाड़ियों में काम करते समय हमेशा जूते और पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें। घर के आसपास घास और झाड़ियां साफ रखें। बच्चों को केनाइन व श्वान दूर रखें और खेलने के समय सतर्क रहें।
जिले में दो माह की स्थिति महीना सर्पदंश डॉग बाइट केट बाइट जून-2025 32 137 16 जून- 2024 24 45 14 फौरन करवाएं उपचार ट्रोमा यूनिट में रोज एक- दो मरीज सर्पदंश के आ रहे हैं। जून में 32 मरीजों के एंटी स्नेक वेमनसीरम लगाकर जान बचाई गई है। स्नेक या डॉग बाइट होने पर घरेलू उपचार या झाड़-फूंक पर भरोसा न करें फौरन नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाएं, इसमें देरी जानलेवा हो सकती है।
डॉ. शीबा सेठी, प्रभारी व नोडल अधिकारी