वहीं, महात्मा गांधी स्कूलों को लेकर पहले बंद करने के बयान तथा बाद में फैसला वापस लेने के पीछे के कारण को लेकर शिक्षामंत्री ने कहा कि हम किसी के दबाव में निर्णय नहीं लेते है। निर्णय सामूहिक विचार-विमर्श से लिए जाते है। हमने इन्हें बंद करने का कभी नहीं कहा, हमने कहा था विचार करेंगे। जहां बच्चे नहीं है, उन्हीं स्कूलों को बंद किया जाएगा।
बता दें, पिछले दिनों जनसुनवाई में एक शिक्षक के लिफाफे में नगद रुपए देने के मामले को लेकर दिलावर ने कहा कि शायद पहले पिछली कांग्रेस सरकार के समय यह परंपरा रही होगी कि पैसे देकर काम करवाएं जाएं, लेकिन अब ऐसा नहीं होता। हमारे यहां सामूहिक निर्णय से पारदर्शी काम होता है।
भ्रष्टाचार सबने देखा- दिलावर
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा की ओर से पार्टी की लुटिया डुबोने वाले बयान पर दिलावर ने कहा कि उनके समय रीट की परीक्षा में कैसे पेपरलीक और भ्रष्टाचार हुआ वो सबने देखा है। हमने ऐसे भ्रष्टाचारी नहीं देखे जो रीट के पेपर बेच दे, कंपीटिशन के पेपर बेच दे, लीक कर दे, अपने ही परिवार के लोगों को लगा दे। भ्रष्टाचार उनकी रग-रग में भरा पड़ा है। मदन दिलावर ने कहा कि रीट की परीक्षा हमने भी कराई है और इतनी पारदर्शी तरीके से करवाई कि कोई नकारात्मक समाचार नहीं आया। परीक्षा देने वालों, उनके परिजनों तथा परीक्षा लेने वालों के अलावा किसी को पता भी नहीं चला। आरएएस परीक्षा को लेकर उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत राय किसी की कुछ भी हो सकती है लेकिन अंतिम निर्णय सामूहिक होता है।