Punganur Cow: आंध्र प्रदेश से पुंगनूर नस्ल की गाय अब राजस्थान में… दो फीट का कद, बनी आकर्षण का केन्द्र
सीकर जिले के श्रीमाधोपुर स्थित गौगढ़ बाबा ब्रह्मचारी आश्रम में पुंगनूर गाय का आगमन, गोवंश जोड़ी (बछिया गौरा और बछड़ा शिव) को दिया नाम, देश की सबसे छोटी और दुर्लभ नस्लों में है शुमार
श्रीमाधोपुर। शहर के गौगढ़ बाबा ब्रह्मचारी आश्रम में आंध्र प्रदेश से पुंगनूर नस्ल की देसी गोवंश की एक नन्ही जोड़ी (बछिया-बछड़ा) का यहां आगमन हुआ है। पुंगनूर नस्ल के गोवंश जोड़ी (बछिया गौरा और बछड़ा शिव) के बाबा ब्रह्मचारी आश्रम में आने पर गौपालक ब्रह्मचारी बाबा के शिष्य सतगिरि महाराज ने खूब दुलारा और उन्हें अपने हाथों से गुड़ खिलाया।
गोशाला को यह गौवंश भामाशाह ने दान की है। सतगिरि महाराज इन दोनों गोवंश को अपने साथ ही रखते हैं। महाराज ने जब इन गोवंश को गौरा और शिव नामों से पुकारा तो प्यार भरी पुकार सुनते ही गोवंश दौड़ते-मचलते हुए उनके पास आ गए। महाराज ने बताया कि इनका स्वभाव सौम्य और मिलनसार है। छोटे बच्चों की तरह खेलती भी रहती है।
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देखभाल में खर्चा कम श्रीमाधोपुर में आंध्र प्रदेश की पुंगनूर नस्ल की दुर्लभ गायें आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। इनका दूध औषधीय गुणों से भरपूर है, इनकी देखभाल में कम खर्च आता है। इन गायों की ऊंचाई, लंबाई और चौड़ाई सामान्य गायों की तुलना में काफी कम होती है। इनकी खुराक भी कम होती है, और ये दूध भी देती हैं। श्रीमाधोपुर में इन गायों की उपस्थिति लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है, और गौ संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सहायक है।
प्रतिदिन दो से तीन किलो तक दूध
लगभग दो फीट की इन गायों की औसत कीमत चार लाख से नौ लाख रुपए तक है। यह हर दिन औसत दो से तीन किलो तक दूध दे देती हैं। आंध्र प्रदेश के चित्तूर ज़िले के पुंगनूर क्षेत्र की गायों को राजस्थान के शेखावाटी अंचल की आबोहवा पसंद आने लगी है। कम हाइट के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध इस नस्ल की कुछ गायों को श्रीमाधोपुर लाया गया है। गोवंश को यहां का घास, दूब, पानी, बांट खूब पसंद आ रहा है।