पहले क्रिकेट में कॅरियर बनाने की बात आती थी तो महानगरों के मुकाबले छोटे शहरों में संसाधन नाकाफी नजर आते। लेकिन बदलते दौर में गांव-ढाणियों के खिलाड़ियों ने अपनी मेहनत व जुनून के दम पर अपनी पहचान बनाना शुरू कर दिया है। एक्सपर्ट का कहना है कि इसके पीछे है कि अब खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए बेहतर मैदान व माहौल मिलने लगा है।
दस सालों से निशुल्क प्रशिक्षण की मुहिम जारी
सीकर के युवा क्रिकेट संदीप सैनी ने पहले खुद अपने कॅरियर को संवारा। अब 15 सालों में शेखावाटी में खिलाड़ियों की फौज तैयार कर दी है। राजस्थान क्रिकेट टीम के वर्तमान खिलाड़ी संदीप सैनी ने बताया कि आरआर क्रिकेट एकेडमी के जरिए शेखावाटी की बेटियों को पिछले इस दस सालों से नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस सत्र में एकेडमी के पांच खिलाड़ियों राजस्थान टीम में चयन हुआ है। सैनी ने बताया कि अब तक 300 से अधिक लड़कियों को नि:शुल्क क्रिकेट की ट्रेनिंग दे चुके हैं। इनमें से कई बेटियों ने प्रदेश के क्रिकेट जगत में अपनी खुद पहचान बनाई है। यहां धर्मवीर सैनी, अनिल खीचड़, मनीषा चौधरी, नितिन सैनी, सोहन जैफ, बबीता, निशा सैनी, अंशु सैनी, डिंपल, भूमिका जांगिड़, ईशा, गजराज, योगेंद्र सोनी, धर्मेंद्र सैनी, नितिन सैनी, योजित चौधरी आदि खिलाड़ी शिक्षानगरी का मान बढ़ा चुके है।
पहले लोग बनाते थे मजाक, अब मिल रही दाद
पत्रिका से बातचीत में संदीप ने बताया कि सीकर में पहले क्रिकेट में कॅरियर बनाने की सोचना ही काफी मुश्किल था, क्योंकि यहां संसाधनों का काफी टोटा था। इसके बावजूद संदीप हार मानने के बजाय अभ्यास में जुटे रहे। उन्होंने बताया कि पहले बेटियों को क्रिकेट सिखाने की बात करते थे तो लोग मजाक बनाते थे, लेकिन जब बेटियों ने सफलता हासिल करना शुरू किया तो क्रेज बढ़ता ही चला गया।