बता दें, अभी तक राजस्थान के केवल छह सरकारी संस्कृत स्कूलों में ही शुक्ल यजुर्वेद की पढाई हो रही है। पहले पूरे राज्य में संस्कृत के 273 वरिष्ठ उपाध्याय विद्यालय थे। सरकार ने पिछले बजट में 225 प्रवेशिका विद्यालयों को भी वरिष्ठ उपाध्याय स्कूलों में क्रमोन्नत करने की घोषणा कर दी। ऐसे में अब कुल 498 सरकारी वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत स्कूलों में शुक्ल यजुर्वेद की पढाई होगी।
संस्कृत शिक्षा के सहायक निदेशक ने इस संबंध में समस्त संभागीय संस्कृत शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर दो अलग-अलग जानकारी मांगी है। इसमें शुक्ल यजुर्वेद कहां-कहां स्वीकृत है और कहां-कहां स्वीकृत नहीं है, के बारे में पूछा गया है। इसकी पत्र में विषय अध्यापकों की नियुक्ति करने का भी उल्लेख किया गया है।
वेद स्कूल भी खुलेंगे
इनके अलावा राजस्थान के प्रत्येक संभाग मुयालय पर वेद स्कूलों की स्थापना होगी। राज्य सरकार ने बजट में इसकी घोषणा की थी। ये स्कूल सीकर जिले के रैवासा की तर्ज पर विकसित होंगे। यहां पढाई के साथ ही, रहने, पुस्तकें, ड्रेस, नश्ता, भोजन सभी सभी सुविधाएं मौजूद रहेंगी। यह वेद स्कूल पूरी तरह से आवासीय होंगे। यहां पूरा माहौल गुरुकुल जैसा नजर आएगा।
देशभर में है पहचान
शेखावाटी के बिसाऊ, चिराना, रैवासा, सरदारशहर, रतनगढ़, सालासर सहित कई कस्बे संस्कृत शिक्षा के प्रमुख केन्द्र रहे हैं। यहां के संस्कृत के विद्वानों की अलग पहचान रही है। यहां के संस्कृत के पढे हुए शिक्षकों का राजस्थान ही नहीं दिल्ली, मुबई, कोलकाता, चेन्नई, सूरत सहित देशभर में मान समान होता आया है।
अच्छा फैसला है…
राजस्थान संस्कृत शिक्षा विभागीय शिक्षक संघ चूरू मंड के अध्यक्ष अनिल भारद्वाज ने कहा कि शुक्ल यजुर्वेद की पढाई शुरू करने से बच्चों को कॅरियर का नया विकल्प मिलेगा। संस्कृत को बढावा मिलेगा। साथ ही व्यायाताओं की भर्ती होने से युवाओं को सरकारी नौकरी के नए अवसर मिलेंगे। यह सरकार का शानदार निर्णय है।
ऐसे समझें फायदे का गणित
शुक्ल यजुर्वेद को वेदों का ही छोटा हिस्सा माना जाता है। इसमे मुयत: पांडित्य कर्म, पूजा पाठ, श्लोक का सही उच्चारण करना आदि सिखाए जाते हैं। इसकी पढाई के बाद युवा खुद अपनी आजीविका कमा सकते हैं। साथ ही वेदों का व संस्कृत को बढ़ावा मिलेगा। रोजगार का नया विकल्प मिलेगा। यहां से पढाई करने वाले अनुभव वालों से ज्यादा बेहतर कर सकेंगे, जिनका उच्चारण श्रेष्ठ होगा। प्रदेश के 498 स्कूलों में शुक्ल याजुर्वेद नया संकाय शुरू करने के लिए व्यायाताओं की जरूरत भी पड़ेगी। ऐसे में संस्कृत से शिक्षा शास्त्री, आचार्य व अन्य उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं के लिए सरकारी नौकरी के अवसर मिलेंगे। सरकारी नई भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू कर सकती है। संस्कृत के प्रति युवाओं का मोह कम होता जा रहा है। ऐसे में संस्कृत युवाओं को कॅरियर का ऐसा नया विकल्प देगा।