कांडला तक जाने वाले इस हाइवे से लगभग हर रोज ज्वलनशील पदार्थों से भरे टैंकर आबादी क्षेत्र होते हुए गुजरते हैं। आबादी क्षेत्रों में हर वक्त हादसे का खतरा मंडराता रहता है। ऐसे में कांडला हाइवे पर सिरोही जिले के भीड़भाड़ वाले बड़े कस्बों में बाइपास के निर्माण की दरकार हैं। बाइपास के अभाव में यहां कभी भी बड़ा हादसा हो जाए तो प्रशासन के पास बचाव के पर्याप्त संसाधन तक नहीं हैं।
आबादी क्षेत्रों में हादसे का खतरा
सिरोही-कांडला हाइवे से लगभग हर रोज एलपीजी, पेट्रोल-डीजल, केमिकल, अति ज्वलनशील रसायन सहित विस्फोटक सामग्री से भरे भारी वाहन गुजरते हैं। ये वाहन सिरोही, रेवदर, अनादरा, मंडार में आबादी क्षेत्रों से गुजरते हैं। मंडार में तो ज्यादा हाल खराब है। मंडार कस्बे में तीन बत्ती व बस स्टैंड पर विकट मोड़ होने के साथ ही भीड़-भाड़ वाला क्षेत्र है। इसके अलावा सड़क तक अतिक्रमण पसरा होने से सड़क संकरी हो गई है। यहां से गुजरने वाले वाहन कई बार भिड़ जाते हैं और कई बार खराब होकर सड़क पर ही खड़े रह जाते हैं। ऐसे में हादसे का खतरा बना रहता है। सिरोही या आबूरोड से पहुंचती फायर ब्रिगेड
मंडार व रेवदर में आगजनी की घटना होने पर तत्काल काबू पाने के लिए पर्याप्त संसाधन तक नहीं हैं। रेवदर उपखंड में भी अग्निशमन वाहन की व्यवस्था नहीं है। आगजनी की घटना होने पर सिरोही या आबूरोड से अग्निशमन वाहन पहुंचने तक इंतजार करना पड़ता है। तब तक काफी नुकसान हो चुका होता है।
लबे समय से उठ रही बाइपास की मांग
मंडार व रेवदर के बाशिन्दे लबे समय से बाइपास निर्माण की मांग करते आ रहे हैं। कई बार जनप्रतिनिधियों को अवगत करा चुके हैं, लेकिन अभी तक उनकी मांग पूरी नहीं हो सकी हैं। यदि कांडला हाइवे पर जिले के आबादी क्षेत्रों सिरोही, अनादरा, रेवदर व मंडार में बाइपास का निर्माण कर दिया जाए तो यातायात सुगम होगा, साथ ही इस तरह के आगजनी के हादसे का भी खतरा नहीं रहेगा। इसको लेकर पिछले दिनों पत्रिका ने अभियान भी चलाकर जनता की समस्या को प्रमुखता से उठाया था। चार माह पहले हो चुकी एलपीजी रिसाव की घटना
29 जुलाई को मंडार टोल के जप पर एलपीजी गैस से भरे टैंकर का सेटी वॉल्व खुलने से एलपीजी का रिसाव होने की घटना हो चुकी है। एलपीजी रिसाव से इलाके में हड़कप मच गया था। टैंकर में करीब 20 टन एलपीजी भरी हुई थी। चालक ने सूझबूझ दिखाते हुए लीकेज टैंकर को आबादी से आगे ले जाकर सोनेला ऊआरा नदी के पास रोका और प्रशासन को सूचना दी। मौके पर पहुंचे कंपनी के अधिकारियों व प्रशासन ने तत्काल मौके पर पहुंचकर रिसाव को रोका, तब जाकर राहत की सांस ली। अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था।