मुख्य शोधकर्ता प्रोफेसर जेरमी निकोल्सन ने बताया कि यह शोध इस धारणा को चुनौती देता है कि बच्चों को कोविड से कम खतरा होता है, क्योंकि उनके लक्षण हल्के होते हैं। शोध में यह भी पता चला कि कोविड से जुड़े एमआइएस-सी (मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रन) नामक स्थिति से पीड़ित बच्चों में दिल को ज्यादा नुकसान होता है। यह बीमारी शरीर के कई अंगों को प्रभावित करती है और हृदय की मांसपेशियों व रक्त वाहिकाओं को भी क्षति पहुंचा सकती है।
शोधकर्ताओं ने बताया कि भले ही बच्चों को सांस संबंधी गंभीर लक्षण कम होते हैं, लेकिन उनके खून में होने वाले जैविक बदलाव वही हैं जो वयस्कों के गंभीर कोविड मामलों में देखे गए हैं। इससे पता चलता है कि बच्चों पर भी लंबे समय तक कोविड का असर हो सकता है।
प्रोफेसर जूलियन विस्ट ने कहा, “अब हमें बच्चों पर कोविड के लंबे समय तक पड़ने वाले प्रभावों को लेकर और अधिक रिसर्च की जरूरत है।”