NEET Topper Mahesh Success Story: यदि मन में कुछ करने का जुनून हो तो तमाम मुसीबतों को मात देकर भी इतिहास रचा जा सकता है। यह साबित कर दिखाया है एनटीए की ओर से शनिवार को घोषित नीट के परिणाम में पहली रैंक हासिल करने वाले होनहार महेश कुमार ने। मूलत: नोहर हनुमानगढ़ निवासी होनहार महेश कुमार ने 720 में से 686 अंक हासिल कर पहले ही प्रयास में इतिहास रचा है।
होनहार ने तीन साल सीकर में रहकर नीट की तैयारी की। होनहार ने सीकर के गुरुकृपा कोचिंग संस्थान के छात्रावास में रहकर पढ़ाई की। होनहार के पिता रमेश कुमार सिन्धी व मां हेमलता भागवानी शिक्षा विभाग में तृतीय श्रेणी शिक्षक के पद पर कार्यरत है। नीट परीक्षा से लगभग ढ़ाई महीने महेश बीमार हो गया। इसलिए मजबूरन गांव जाकर पढ़ाई करनी पड़ी। परीक्षा के नजदीक आने पर मां हेमलता ने महेश के साथ सीकर रहकर हौसला बढ़ाया। पिछले 16 साल उम्र होने की वजह से वह नीट में शामिल नहीं हो सका था।
जुनून: पहले कला संकाय लेने का मन, फिर ली विज्ञान
पत्रिका से खास बातचीत में महेश कुमार ने बताया दसवीं बोर्ड परिणाम में 97.17 फीसदी अंक हासिल किए तो यूपीएससी की तैयारी करने का मन बनाया। लेकिन बड़ी बहन व शिक्षकों ने विज्ञान लेकर नीट की तैयारी करने की सलाह दी। बहन की सीख को हमेशा जेहन में यादकर रखकर तैयारी। 12वीं कक्षा में महेश ने 90.80 फीसदी अंक हासिल किए।
सीख: पहली बार में हर टॉपिक को अच्छे से पढ़ना होगा
पत्रिका से खास बातचीत में होनहार ने बताया कि जो भी काम करो पूरी शिद्दत से करो, मैंने तो माता-पिता के साथ शिक्षकों से यही सीखा है। दसवीं कक्षा में तभी से आदत है कि पहली बार में हर टॉपिक को इतने अच्छे से पढ़ो कि दुबारा जब भी कोई उस टॉपिक से कुछ भी पूछे तो सैकण्डों में उत्तर दे दें। पहली बार में हर टॉपिक के कॉन्सेप्ट क्लियर होने पर रिविजन में भी कम समय खर्च करना पड़ेगा। महेश ने बताया कि सफलता में सबसे अहम रोल दिनचर्या का होता है।
अब आगे: अच्छा सर्जन बनना लक्ष्य
ऑल इंडिया टॉपर गुरुकृपा के महेश ने बताया कि मेरा सपना दिल्ली एस में पढ़कर अच्छा सर्जन बन जरूरतमंद लोगों की सेवा करना है। उन्होंने कहा कि जीवन में लक्ष्य कोई भी हो उसके अनुसार आगे बढ़ने वाले को हमेशा सफलता मिलती है।
सीकर से लगाव, गांव से सीखा संघर्ष
होनहार महेश ने पत्रिका को बताया कि सीकर में आकर पढ़ाई करना काफी महत्वपूर्ण साबित हुआ। यहां के एज्युकेशन सिस्टम की वजह से मुझे शिक्षानगरी से लगाव है। वहीं गांव की माटी से मैंने संघर्ष सीखा जो हर कदम पर काम आया है।