चेहरे पर कोई शिकन नहीं
इस महिला से बीएसएफ और पुलिस अधिकारियों ने अब तक जो पूछताछ की है, उसमें हर सवाल का जवाब उसने सहजता से दिया। उसके चेहरे पर इस बात को लेकर शिकन भी नहीं दिखाई देती कि वह अंतरराष्ट्रीय सीमा का उल्लंघन कर दूसरे देश में आ गई है। उसकी रटी-रटाई बातों पर बीएसएफ और पुलिस अधिकारियों को विश्चास भी नहीं हो रहा है। इसकी एक वजह यह है कि बलूचिस्तान के हालात इस समय सामान्य नहीं है। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने रेल गाड़ी को हाईजैक कर पाकिस्तानी आर्मी के काफिले में शामिल एक बस को आत्मघाती हमले मे उड़ा कर शहबाज सरकार और पाकिस्तानी सेना को जो जख्म दिए हैं, उसे लेकर पाकिस्तानी सेना बलूचों के खून की प्यासी बनी हुई है। ऐसे हालात में बॉर्डर पर तैनात पाक रेंजर्स की आंखों में धूल झोंक कर एक बलूच महिला का भारत में घुसपैठ कर जाना सुरक्षा एवं गुप्तचर एजेंसियों के गले नहीं उतर रहा।
पुशबैक केन्द्र की अनुमति से
इस महिला को वापस पाकिस्तान भेजना भी आसान नहीं होगा। इसके लिए केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय से अनुमति लेनी पड़ेगी। आमतौर पर पाकिस्तान की तरफ से वहां का कोई नागरिक गलती से भारतीय सीमा में आ जाता है तो मानवीय आधार पर उसे वापस भेज दिया जाता है। यह तभी संभव होता है जब संयुक्त पूछताछ केन्द्र में पूछताछ करने वाली एजेंसियां उसके गलती से भारतीय सीमा में आने की बात को सही मान ले। बलूच महिला हुमारा के मामले में फिलहाल तो ऐसा नजर नहीं आ रहा।