UPSC 2024: भारत-पाक सीमा पर स्थित गांव खाटलबाना निवासी मुकुल गाबा ने दूसरे ही प्रयास में आईएएस बनकर अपने पिता का सिर गर्व से ऊपर कर दिया है। इस युवा के पिता जगदीश गाबा ने दूध बेचकर अपने बेटे को पढ़ाया। बेटे ने भी मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ी और ऊचाइयां छूकर युवाओं के लिए प्रेरणाश्रोत बन गया। स्कूल शिक्षा के दौरान यह युवा अपने पिता के काम में मदद भी करता था। मुकुल ने यूपीएससी में ईडब्ल्यूएस श्रेणी में 494 वीं रैंक प्राप्त कर अपने गांव,जिले और समाज का नाम रोशन किया है। अब इस युवा के पिता जिला मुख्यालय पर होजरी की दुकान चला रहे हैं।
मुकुल की माता कंचन गाबा गृहिणी हैं, जबकि उनकी बहन इर्शिता उच्च शिक्षा ग्रहण कर रही है। मुकुल ने अपनी उच्च शिक्षा की शुरुआत मोतीलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली से की जहां उन्होंने 2017 से 2020 तक पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने हिन्दू कॉलेज से राजनीतिक विज्ञान में एमए किया और यूपीएससी की तैयारी की। पहले प्रयास में वह साक्षात्कार तक पहुंच पाया लेकिन सफलता नहीं मिली। दूसरे प्रयास में सफलता को चूम लिया।
पदमपुर तहसील क्षेत्र के गांव बींझबायला के युवा देवांश सारस्वत का भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) परीक्षा 2024 में ऑल इंडिया रैंक 374 पर चयन हुआ है। उनकी सफलता से गांव में खुशी की लहर है। इस युवा की असाधारण उपलब्धि पर उसके घर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। देवांश के पिता दयाराम सारस्वत पदमपुर बार संघ के अध्यक्ष रहे चुके हैं। अभी वे नोटरी पब्लिक हैं। वहीं उनकी माता मंजू सारस्वत भी एक एडवोकेट हैं। देवांश की पारिवारिक पृष्ठभूमि शिक्षा के प्रति समर्पित है। उनके चाचा, डॉ. सत्यनारायण सारस्वत कैंसर रोग विशेषज्ञ हैं। इस युवा ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता के आशीर्वाद व गुरुजनों की मेहनत को दिया है।
देवांश ने दिखाई उत्कृष्टता
शिक्षा के क्षेत्र में भी देवांश ने उत्कृष्टता दिखाई है। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा नेहरू विद्या निकेतन उच्च प्राथमिक विद्यालय, बींझबायला से प्राप्त की और कक्षा 10 तक की पढ़ाई जीआर ग्लोबल एकेडमी, कैंचिया से की। इसके बाद सिबोयसिस इंटरनेशनल डीड यूनिवर्सिटी, पुणे से बीए, एलएलबी ऑनर्स किया। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में इंटर्नशिप भी की।