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रंगमहल के बंशीनाथ ने बताया कि पहले सांप पकडकऱ पहचान बनी लेकिन अब उन्होंने खेतीबाड़ी को अपना मुख्य पेशा बना लिया है। अब वे खेतों में मेहनत करके अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब मांगकर खाने की बजाय, मेहनत करके परिवार की देखभाल करना उन्हें ज्यादा अच्छा लगता है। उनकी पत्नी देवीबाई ग्राम पंचायत की उपसरपंच हैं।
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जोगी समुदाय के युवा भी व्यवसाय में हाथ आजमा रहे हैं। अजयनाथ ने आठ साल पहले परचून की दुकान शुरू की, जो अब आत्मनिर्भर बना चुके हैं। सांप पकडक़र तमाशा दिखाने से यह काम कहीं ज्यादा बेहतर साबित हुआ है। उनका कहना है कि अगली पीढ़ी को शिक्षा के माध्यम से ही आगे बढ़ाया जाएगा। वहीं, धर्मेन्द्र नाथ सात साल से ई-मित्र केंद्र चला रहे हैं। उन्होंने बताया कि शुरुआत में इस काम में कई समस्याएं आईं, लेकिन अब यह व्यवसाय बहुत अच्छा चल रहा है।
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ग्राम पंचायत रंगमहल के जोगी समुदाय के लोगों का कहना है कि उनके पास जमीन है, लेकिन खातेदारी का अधिकार अभी तक नहीं मिला। इस वजह से उन्हें कृषि संबंधित कार्य करवाने में बहुत मुश्किल हो रही है। खातेदारी के लिए लम्बे समय से राज्य सरकार से मांग कर रहे है, लेकिन अभी तक खातेदारी का अधिकार नहीं मिला है। अगर खातेदारी मिल जाए तो उनका समुचित विकास हो सकेगा।
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ग्राम पंचायत रंगमहल के सरपंच विजय सिंह ताखर ने बताया कि सांप पकडऩे पर रोक के बाद जोगी समुदाय की जीवनशैली में बदलाव आया है। अगर राज्य सरकार भूमि की खातेदारी दे तो यह समुदाय भी मुख्यधारा में शामिल होकर बदलाव कर सकता है।