ज्योतिष में बुध ग्रह
वैदिक ज्योतिष में बुध को ग्रहों का राजकुमार और सुख, समृद्धि, शांति का प्रतीक माना जाता है। बुध देव के पिता चंद्र और माता देवी तारा हैं। बुध को स्वभाव से मधुर वाणी बोलने वाले, शांत और कोमल ग्रह के रूप में जाना जाता है। बुध ग्रह के इष्ट देव भगवान गणेश और श्रीकृष्ण हैं।बुध उत्तर दिशा के स्वामी होते हैं। यह स्थान कुबेर देवता माना जाता है। बुध को वाणी का कारक माना गया है और इसे कन्या और मिथुन राशियों पर स्वामित्व प्राप्त है। कन्या इसकी उच्च राशि और मीन नीच राशि मानी जाती है।
बुध शुभ होने पर जाग जाता है सोया भाग्य
ज्योतिष में सूर्य और शुक्र को बुध के मित्र ग्रह, जबकि मंगल और चंद्रमा को शत्रु ग्रह के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि बुध के शुभ होने पर व्यक्ति का सोया हुआ भाग्य भी जाग जाता है।
बुध हमारे विचारों, शब्दों, तर्क और निर्णय लेने की हमारी क्षमता को नियंत्रित करता है। ज्योतिष में बुध को आमतौर पर सीखने, बहुमुखी प्रतिभा और खुद की प्रभावी अभिव्यक्ति से जोड़ा जाता है।
बुध प्रधान कुंडली वालों का होता है ऐसा स्वभाव
ऐसे में जिस जातक की कुंडली में बुध प्रधान हो या जिसकी कुंडली में बुध उच्च का हो, वे हंसमुख स्वभाव के होते हैं और जीवन जीने का भरपूर आनंद उठाते हैं। उन्हें हंसी-मजाक पसंद होता है।
बुध अनुकूल होने पर व्यक्ति व्यापार में होता है सफल
बुध को शुभ ग्रह माना गया है। यह ग्रह इंसान की बुद्धिमत्ता, विश्लेषण क्षमता, संचार कौशल और शिक्षा का प्रतिनिधित्व करता है। अगर बुध जातक की कुंडली में अनुकूल हो तो जातक चतुर, बोलचाल में दक्ष और व्यापार में सफल होता है। वहीं इसके प्रतिकूल होने पर विपरीत परिणाम मिलते हैं।
इन ग्रहों के प्रभाव से होता है बुध दोष
बुध ग्रह पर शनि, राहु, केतु या मंगल जैसे क्रूर ग्रहों का प्रभाव पड़े या वह नीच का होकर अशुभ भावों में स्थित हो तो कुंडली में बुध दोष उत्पन्न होता है।
बुध के शुभ प्रभाव के लिए रामबाण है यह स्तोत्र
बुध ग्रह का शुभ फल पाने के लिए श्री विष्णुसहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करना बेहद फलदायी माना गया है। साथ ही बुध की पूजा कर सकते हैं। आइये जानते हैं देश के प्रमुख बुध मंदिरों के बारे में जहां दर्शन से बुध के शुभ फल मिलते हैं ..ये हैं देश के प्रमुख बुध देव मंदिर
थिरुवेंकाडु बुध मंदिर, नागपट्टिनम (तमिलनाडु)
बुध देव का यह प्राचीन मंदिर कावेरी और मणिकर्णिका नदी के पास स्थित है। यह स्थान आदि चिदंबरम के नाम से भी प्रसिद्ध है। यहां पर नवग्रह भी प्रतिष्ठित हैं, लेकिन इस स्थान पर मुख्य देवता के रूप में चार भुजाधारी बुध देव की पूजा का ही महत्व है। इस स्थान पर भगवान शिव का श्वेत रानेश्वर मंदिर भी स्थित है।
थिरुवेनकादु को श्वेतअरण्य नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ होता है सफेद जंगल। इसी प्रकार बुद्धि के देवता बुध का स्थान होने से यह ज्ञान अरण्य क्षेत्र के नाम से भी प्रसिद्ध है।
मान्यताः ऐसी मान्यता है कि देवराज इंद्र के वाहन ऐरावत हाथी ने यहां पर तप किया था। यह उत्तर के बनारस के समान ही पवित्र स्थान माना जाता है। यहां बुध ग्रह की पूजा विशेष रूप से की जाती है।
इसके अलावा यहां आने वाले श्रद्धालु बुध मंदिर की 17 बार परिक्रमा करते हैं। हर परिक्रमा में एक दीप प्रज्जवलित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से बुध ग्रह के सभी अशुभ प्रभाव नष्ट हो जाते हैं और बुध देव भक्त को बुद्धि और समृद्धि प्रदान करते हैं।
इसी को भगवान बुध को समर्पित एक मात्र मंदिर माना गया है। ऐसे में मान्यता है कि बुध ग्रह का शुभ फल पाने के लिए जातक को इस मंदिर में जाकर एक बार भगवान बुध की प्रतिमा का दर्शन और पूजन जरूर करना चाहिए।
श्री नवग्रह मंदिर, कुंभकोणम (तमिलनाडु)
इस दक्षिण भारत का प्रसिद्ध नवग्रह स्थल कहा गया है। बुध देव यहां पवित्र स्वरूप में विराजमान हैं। यहां भी इनकी पूजा होती है।
श्री नवग्रह मंदिर, नौगांव (मध्य प्रदेश)
यह मंदिर बुध ग्रह सहित सभी नवग्रहों को समर्पित है। विशेषकर बुध दोष निवारण के लिए लोग यहां आते हैं।