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उदयपुर

राजस्थान के बिजली उपभोक्ताओं के साथ बड़ा छलावा, अरबों वसूले, जानें कैसे

Rajasthan Electricity News : राजस्थान के बिजली उपभोक्ताओं के साथ अलग तरह का छलावा हो रहा है। बिजली निगम ने फ्यूल सरचार्ज के नाम पर उपभोक्ताओं से अरबों रुपए की वसूली की है। जानें पूरी खबर।

उदयपुरFeb 02, 2025 / 08:34 am

Sanjay Kumar Srivastava

Rajasthan Electricity Consumers Big Fraud Billions Collected, know how
पंकज वैष्णव
Rajasthan Electricity News : राजस्थान के बिजली उपभोक्ताओं के साथ अलग तरह का छलावा हो रहा है। बिजली निगम बेस फ्यूल सरचार्ज के नाम पर बेजा वसूली कर रहे हैं। बड़ी बात ये है कि किसी माह में ज्यादा वसूली गई राशि वापस बिलों में समायोजित नहीं की जाती। वित्तीय वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर से दिसम्बर) संबंधी आदेश हाल ही में जारी हुआ है। सामने आया कि 9 पैसे/यूनिट से तिमाही फ्यूल सरचार्ज निर्धारण हुआ। जबकि, 57 पैसे/यूनिट दर से बेस फ्यूल सरचार्ज वसूली कर लिया गया। लिहाजा उपभोक्ताओं के बिजली बिलों में 48 पैसा/यूनिट राशि समायोजित करनी चाहिए। यह राशि मामूली नहीं, बल्कि प्रदेशभर का आंकड़ा देखें तो 1319 करोड़ रुपए है, जिस पर उपभोक्ताओं का हक है।

क्या है ईंधन अधिभार और समायोजन

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ईंधन अधिभार बिजली उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले ईंधन की लागत में वृद्धि की भरपाई के लिए बिजली बिलों में जोड़ा जाता है। ईंधन अधिभार कोयले, प्राकृतिक गैस या तेल की कीमत के आधार पर अलग-अलग होता है।
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बिजली संयंत्रों के लिए ईंधन अधिभार जरूरी माना जाता रहा है। इससे संबंधित कम्पनियों को ईंधन लागत में अस्थिरता का लाभ उठाने और वित्तीय प्रभाव निगम पर डालने के बजाय इसका भार ग्राहकों पर डाला जाता रहा है।
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समायोजन ईंधन की लागत में होने वाले बदलाव को ध्यान में रखते हुए किए जाने वाला संशोधन बताता है। नियमित रूप से ईंधन की कीमतों की समीक्षा होती है। वर्तमान ईंधन कीमत के अनुपात में समायोजन करना होता है।
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कई बार ईंधन कीमतों में बदलाव होने पर उपभोक्ताओं को बिजली बिलों में अलग प्रदर्शित किया जाता है, जहां खपत की गई कुल बिजली की लागत के विरुद्ध प्रभार को ईंधन व्यय के रूप में पहचाना जा सकता है।

प्रदेश में यह स्थिति जानिए

1- 2,268 करोड़ यूनिट तिमाही खपत।
2- 1.48 करोड़ बिजली उपभोक्ता प्रदेश में।

मूल राशि पर उपभोक्ताओं का हक है…

अधिक वसूली राशि का समायोजन अगले माह के बिलों में किए जाने का नियम है, लेकिन निगम ऐसा नहीं करते। ऐसा पिछले कई वर्षों में भी होता रहा है। ब्याज न सही, मूल राशि पर उपभोक्ताओं का हक है, जो रिफंड के तौर पर बिलों में समायोजित होनी चाहिए।
इंजी. वाई.के. बोलिया, रिटायर्ड एसई व ऊर्जा सलाहकार

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