क्या है ईंधन अधिभार और समायोजन
01ईंधन अधिभार बिजली उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले ईंधन की लागत में वृद्धि की भरपाई के लिए बिजली बिलों में जोड़ा जाता है। ईंधन अधिभार कोयले, प्राकृतिक गैस या तेल की कीमत के आधार पर अलग-अलग होता है।
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बिजली संयंत्रों के लिए ईंधन अधिभार जरूरी माना जाता रहा है। इससे संबंधित कम्पनियों को ईंधन लागत में अस्थिरता का लाभ उठाने और वित्तीय प्रभाव निगम पर डालने के बजाय इसका भार ग्राहकों पर डाला जाता रहा है।
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समायोजन ईंधन की लागत में होने वाले बदलाव को ध्यान में रखते हुए किए जाने वाला संशोधन बताता है। नियमित रूप से ईंधन की कीमतों की समीक्षा होती है। वर्तमान ईंधन कीमत के अनुपात में समायोजन करना होता है।
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कई बार ईंधन कीमतों में बदलाव होने पर उपभोक्ताओं को बिजली बिलों में अलग प्रदर्शित किया जाता है, जहां खपत की गई कुल बिजली की लागत के विरुद्ध प्रभार को ईंधन व्यय के रूप में पहचाना जा सकता है।
प्रदेश में यह स्थिति जानिए
1- 2,268 करोड़ यूनिट तिमाही खपत।2- 1.48 करोड़ बिजली उपभोक्ता प्रदेश में।
मूल राशि पर उपभोक्ताओं का हक है…
अधिक वसूली राशि का समायोजन अगले माह के बिलों में किए जाने का नियम है, लेकिन निगम ऐसा नहीं करते। ऐसा पिछले कई वर्षों में भी होता रहा है। ब्याज न सही, मूल राशि पर उपभोक्ताओं का हक है, जो रिफंड के तौर पर बिलों में समायोजित होनी चाहिए।इंजी. वाई.के. बोलिया, रिटायर्ड एसई व ऊर्जा सलाहकार