बताया कि सर्वप्रथम विद्यालय के समस्त शिक्षकों ने पहल करते हुए 66 हजार रुपए एकत्र किए और ग्रामीणों के सहयोग से मूल आवश्यकता जर्जर छत की रिपेयरिंग, दीवार रिपेयरिंग के साथ रंग-रोगन, मानचित्र, कलर्ड कोटेशन, दीवारों, खंभों सहित बाउंड्री वॉल पर आकर्षक पेंटिंग की गई। अब स्कूल हरियाली से आच्छादित होकर प्राचीन गुरुकुल जैसा नजर आ रहा है। जो क्षेत्रवासियों का ध्यानाकर्षण कर रहा है।
सन 1959 में स्कूल की स्थापना
ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय की स्थापना सन 1959 में हुई। भवन निर्माण सन 1962 का है। प्रधानाध्यापक अनीता ने बताया कि विद्यालय के शिक्षकों की ओर से छात्रों के सर्वांगीण विकास व विद्यालय विकास को देखते हुए सहयोग से विद्यालय में प्रिंटर, स्मार्ट टीवी, 1 एचपी पानी की मोटर, इलेक्ट्रॉनिक वेट मशीन, अलमारी व बैटरी इन्वर्टर की व्यवस्था की गई। साथ ही भामाशाहों के सहयोग से समस्त छात्र-छात्राओं को स्कूल के जूते व स्वेटर भी समय-समय पर उपलब्ध कराए गए। तकनीकी ज्ञान व ऑनलाइन शिक्षा के लिए स्मार्ट टीवी लगवाकर स्मार्ट क्लास की शुरुआत की। आगामी सत्र में पर्याप्त स्टाफ के सहयोग से अधिकतम नामांकन प्राप्ति का लक्ष्य तय किया गया है।
खेल में जिला व राज्य स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन
विद्यालय के शारीरिक शिक्षक जसवंत कुमार मेनारिया ने बताया कि यहां की प्रतिभाएं खो-खो, वॉलीबॉल, एथलेटिक्स आदि खेलों में ब्लॉक, जिला व राज्य स्तर पर प्रतिनिधित्व करते हुए विद्यालय के साथ-साथ गांव का भी नाम रोशन किया।
इनका कहना है…
पुरानी इमारत बनने के बाद बने नए कक्ष बिल्कुल ही जर्जर अवस्था में थे, जो उपयोग लेने जैसे नहीं थे। नए कक्षा-कक्ष, हाॅल की मरम्मत, खेल-मैदान की बाउंड्रीवॉल, खेल मैदान निर्माण के लिए उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया है। –अनीता, प्रधानाध्यापक विद्यालय के नौ कमरों सहित प्रधानाध्यापक कक्ष की छत से बारिश के दिनों में पानी गिरता था। सभी के सहयोग से 8 कमरों की छत मरम्मत में चाइना मोज़ेक करवाया। एक बड़े कमरे की छत अधिक जर्जर होने से प्रस्ताव बनाकर उच्च अधिकारियों को भेजा है।
–किशन लाल मेनारिया, पीईईओ, खरसाण