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उदयपुर

मालामाल होगी सरकार, प्रदेशवासियों को मिलेगा रोजगार

राज्य की खनिज ग्राइंडिंग मिलों को बचाने की मुहिम तेज, सीकर में यूडीएच मंत्री तो ब्यावर में विधायक से मिले उद्यमी

उदयपुरFeb 05, 2025 / 11:50 pm

अभिषेक श्रीवास्तव

बंद होती बॉल मिलों को बचाने के लिए सीकर में मंत्री झाबर सिंह खर्रा से मिलते उद्यमी

उदयपुर. प्रदेश में दम तोड़ रही खनिज ग्राइंडिंग इकाइयों (बॉल मिल्स) को बचाने यदि सरकार खनिज निर्गमन की रॉयल्टी दरें बढ़ाती है तो एक ओर जहां सरकार के राजस्व में इजाफा होगा, वहीं हजारों लोगों को रोजगार भी मिलेगा। इस समय प्रदेश से करीब 60-70 हजार टन क्रूड और सेमी प्रोसेस्ड कच्चा माल रोजाना गुजरात जा रहा है। इसका नुकसान राज्य के बॉल मिल संचालकों को हो रहा है। कई मिलें बंद हो चुकी है।
बॉल मिस संचालकों की मांग है कि प्रदेश से दूसरे राज्यों में निर्गमित होने वाले अप्रधान खनिजों की रॉयल्टी दरों को छह गुना किया जाए। तभी बंद होते उद्योगों को संजीवनी मिल सकती है। यदि ऐसा नहीं होता है तो प्रदेश की बॉल मिल इंडस्ट्री पूरी तरह दम तोड़ देगी। ये उद्योग पिछले कई सालों से सोडा फेल्सपार एवं क्वार्ट्ज की पिसाई कर गुजरात के सेरेमिक उद्योग के लिए निर्यात करते रहे हैं, लेकिन पिछले करीब एक साल से गुजरात में ही माइक्रॉन प्लांट शुरू हो गए हैं। ऐसे में अब सीधा खदानों से कच्चा माल गुजरात जाने लगा है और स्थानीय उद्योग दम तोड़ने लगे हैं।

इस तरह छलक सकता है राजस्व

ग्राइंडिंग मिल संचालकों का कहना है कि अभी अप्रधान खनिजों पर 135 रुपए प्रति टन रॉयल्टी वसूली जा रही है। राज्य के बाहर जाने वाले माल पर भी यही दर लागू हो रही है। यदि प्रदेश के बाहर जाने वाले माल पर यह दर छह गुना की जाती है तो सरकार को प्रति टन 810 रुपए की राजस्व की प्राप्ति होगी। यानी मौजूदा आय की तुलना में पांच गुना राजस्व सरकार को अधिक मिलेगा। यदि माल सीधा बाहर जाएगा तो रॉयल्टी के रूप में सरकार की आय बढ़ेगी और अगर सीधा नहीं जाता तो राजस्थान की बॉल मिलों को संजीवनी मिलेगी। इन बॉल मिलों से भी सरकार को छह सौ रुपए प्रति टन विद्युत खर्च की आय बढ़ेगी। वहीं अभी जहां कच्चे माल के निर्गमन पर सरकार को केवल 15 रुपए प्रति टन की जीएसटी प्राप्त हो रही है। वहीं प्रोसेस्ड माल बाहर जाएगा तो जीएसटी भी करीब 80 रुपए प्रति टन से ज्यादा प्राप्त होगी।

एकजुट हुए उद्यमी, जनप्रतिनिधियों से गुहार

राजस्थान पत्रिका की ओर से Òअपना खनिज-अपना उद्योगÓ अभियान शुरू होने के बाद विभिन्न औद्योगिक संगठन एकजुट हुए हैं। बंद होते उद्योेगों को बचाने के लिए वे जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को अपनी मांग से अवगत करा रहे हैं। इसी के तहत मंगलवार को सीकर जिले के अजीतगढ़ में उद्यमियों ने नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा तो ब्यावर में स्थानीय विधायक शंकर सिंह रावत को अपनी मांगों से अवगत कराया। उन्होंने प्रदेश में बंद होते बॉल मिल उद्योग की स्थिति से अवगत कराया। वहीं प्रदेश के बाहर रॉयल्टी दरों के दोहरीकरण की मांग उठाई।

इनका कहना ….

सेरेमिक खनिजाें पर प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर समान रॉयल्टी व्यवस्था होने से राज्य के उद्यमी प्रतिस्पर्धा में पिछड़ रहे हैं। उदयपुर परिक्षेत्र की आज की स्थिति में ज्यादातर बॉल मिलें बंद पड़ी हैं। उद्यमी बैंक ऋण की किस्तें तक नहीं चुका पा रहे। वहीं बड़ी संख्या में मजदूर पलायन कर गए हैं। रॉयल्टी का दोहरीकरण ही उद्योगों को संजीवनी दे सकता है।
– दीपक हरकावत, सचिव, लघु उद्योग भारती, गुडली औद्योगिक क्षेत्र

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