गुप्त सूचना के बाद बिछाया गया था जाल
सूत्रों के अनुसार एसीबी को कई दिनों से सूचना मिल रही थी कि उदयपुर वन विभाग में ठेकेदारों से बिल पास कराने के नाम पर मोटी रिश्वत ली जा रही है। इस पर एक ठेकेदार से मिली शिकायत को आधार बनाकर ब्यूरो ने जांच शुरू की। शिकायतकर्ता ने बताया कि उसकी फर्म द्वारा उदयपुर के विभिन्न वन क्षेत्रों में निर्माण और मृदा कार्य किए जा रहे थे। जब उसने अपने 34.43 लाख रुपये के बिल पास कराने की कोशिश की, तो क्षेत्रीय वन अधिकारी ने 10.60 फीसदी हिस्सा उच्च अधिकारियों के लिए और 12.40 फीसदी स्वयं व अधीनस्थों के लिए बताकर रिश्वत की मांग की।
शिकायत की पुष्टि होने के बाद एसीबी ने एक सटीक योजना बनाई। जैसे ही वन अधिकारी धीरेन्द्र सिंह और वन रक्षक अब्दुल रऊफ ने 4.61 लाख रुपये की रिश्वत ली, उन्हें मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया। सूत्रों का कहना है कि यह सिर्फ एक मामला नहीं है, बल्कि वन विभाग में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार का संकेत हो सकता है। एसीबी अब यह भी जांच कर रही है कि क्या विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस खेल में शामिल थे। राजस्थान में एसीबी लगातार भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ शिकंजा कस रही है। इस मामले में भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और बीएनएस 2023 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। आगे की जांच में और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं।