24 साल की आशाबाई का अपने पति हटे सिंह से विवाद चल रहा था। ससुराल वालों ने उसे एक वर्ष पूर्व घर से निकाल दिया था और बच्चे अपने पास रख लिए थे। आशा एक साल से मायके में रह रही थी। बच्चों की कस्टडी को लेकर मामला कोर्ट में चल रहा था।
आशाबाई को उम्मीद थी कि कोर्ट का फैसला उसके पक्ष में आएगा और वह फिर से अपने बच्चों को सीने से लगा सकेगी। दो दिन पहले जब कोर्ट में सुनवाई की तारीख पर ससुराल वाले पेश नहीं हुए, तो उसकी ये उम्मीदें टूट गईं। बच्चों के बिना जिंदगी की कल्पना से ही उसका दिल बैठ गया। ऐसे में उसने आत्महत्या का निर्णय ले लिया।
यह भी पढ़ें: एमपी की बड़ी नदी सूखी, 470 किमी लंबे इलाके में मच गया हाहाकार यह भी पढ़ें: एमपी में दो से अधिक संतानों पर बर्खास्तगी पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला अचेत मिली, बचाई नहीं जा सकी– रविवार दोपहर उसके मामा रामेश्वर घर पहुंचे, तो आशाबाई अचेत हालत में मिली। घबराए मामा ने तुरंत खेत पर काम कर रहे उसके माता-पिता को फोन किया। आनन-फानन में उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन देर रात इलाज के दौरान उसकी सांसें थम गईं।
मां के दिल का दर्द सहन नहीं कर पाई
परिवारवालों ने बताया कि आशाबाई अपने बच्चों से दूर होने के कारण पिछले कुछ दिनों से गुमसुम थी। उसे डर था कि कहीं उसके बच्चे उससे हमेशा के लिए न छिन जाएं। यही डर उसके दिल को चीर रहा था। आखिरकार इस दर्द ने उसकी हिम्मत तोड़ दी और उसने ऐसा खौफनाक कदम उठा लिया। निराशा में आशाबाई ने जहर खा लिया।