Crypotcurrency: अमेरिका क्यों बना रहा क्रिप्टो रिजर्व, जानें क्या होगा इसका असर?
Donald Trump: ट्रंप ने इस सप्ताह पांच डिजिटल एसेट्स के नाम घोषित किए हैं, जिसके अनुसार इस रिजर्व में शामिल किया जाएगा। इनमें बिटकॉइन, ईथर, एक्सआरपी, सोलाना और कार्डानो शामिल हैं।
Crypotcurrency: अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप ने क्रिप्टोकरेंसी का भंडार स्थापित करने के लिए एक रणनीतिक रिजर्व बनाने के कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं। यह कदम ट्रंप के चुनावी वादों में से एक था, जिसे अब अमल में लाया जा रहा है। दुनिया में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई विनियम नहीं है लेकिन अमेरिका के ताजा कदम से लोगाें को इस वर्चुअल करेंसी के बारे में उत्सुकता है। जानते हैं अमेरिका के कदम से क्या होगा….
यह किसी भी अन्य सरकारी भंडार की तरह है, जिसमें भविष्य के उपयोग के क्रिप्टोकरेंसी को जमा किया जाएगा। डिजिटल एसेट का यह रिजर्व क्रिप्टो वॉलेट में रखा जाएगा जिसकी सुरक्षा अत्याधुनिक तकनीक से होगी।
क्या इसके लिए क्रिप्टोकरेंसी खरीदेगी सरकार?
इस रिजर्व के लिए अमरीकी सरकार क्रिप्टोकरेंसी नहीं खरीदेगी बल्कि आपराधिक या सिविल मामलों में ट्रेजरी विभाग ने जो क्रिप्टोकरेंसी जमा की है उसे इस भंडार में डाला जाएगा। यह भंडार जनता के टैक्स पर निर्भर नहीं होगा। बैकफुट पर ट्रंप, अमेरिका को लगे झटके, देखें वीडियो…
इसमें कौन कौन सी क्रिप्टोकरेंसी शामिल ?
ट्रंप ने इस सप्ताह पांच डिजिटल एसेट्स के नाम घोषित किए हैं, जिसके अनुसार इस रिजर्व में शामिल किया जाएगा। इनमें बिटकॉइन, ईथर, एक्सआरपी, सोलाना और कार्डानो शामिल हैं। कार्यकारी आदेश के तहत यूएस डिजिटल एसेट स्टॉकपाइल भी बनाया जाएगा, जिसमें क्रिप्टो के अलावा अन्य डिजिटल एसेट्स शामिल होंगे।
यह रिजर्व क्यों कर रहे है ट्रंप?
ट्रंप क्रिप्टो इंडस्ट्री को बढ़ावा देना चाहते हैं क्योंकि चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने ट्रंप का समर्थन किया था। ट्रंप ने चुनाव के दौरान कहा था कि वह अमेरिका को क्रिप्टो कैपिटल बनाना चाहते हैं।
क्या होगा क्रिप्टो रिजर्व का असर ?
सीमित मात्रा में उपलब्ध होने के चलते बढ़ती मंहगाई के साथ क्रिप्टोकरेंसी की मांग बढ़ेगी और समय के साथ भी इसका मूल्य बढ़ेगा जिससे अमेरिका की अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूती मिलेगी। आर्थिक संकट के समय क्रिप्टो रिजर्व पैसे की उपलब्धता को आसान बनाया जा सकता है। कुछ अर्थशास्त्रियों ने चिंता जताई है कि इससे अमीर वर्ग को और अधिक लाभ पहुंचेगा। बिना विनियमन ऐसे भंडार से आगे अलग तरह की दिक्कतें हो सकती हैं।