Earth due to Global Warming (Representative Image )
Climate Change: ग्लोबल वार्मिंग का एक और खतरनाक संकेत सामने आया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, धरती के पेड़-पौधे और मिट्टी अब पहले की तरह कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) को सोखने में सक्षम नहीं रहे हैं। 2008 में धरती की कार्बन सोखने की क्षमता अपने चरम पर थी, लेकिन उसके बाद से इसमें लगातार गिरावट आ रही है। यह जानकारी वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर के विश्लेषण से मिली है, जिसे जेम्स कुरन और उनके बेटे सैम ने किया है। इसके अनुसार, 2008 के बाद से धरती की कॉर्बन सोखने की मात्रा में प्रति वर्ष औसतन 0.25% की कमी आई है। यह परिणाम वेदर जर्नल में प्रकाशित हुए है।
पिछले सदी में बढ़ते कार्बन डाइऑक्साइड और गर्म तापमान ने प्रकाश-संश्लेषण (Photosynthesis) से पेड़-पौधों के विकास को बढ़ावा दिया था। अब, जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव जैसे जंगल की आग, सूखा, तूफान, बाढ़ और पौधों पर गर्मी के तनाव के चलते यह फायदे नुकसान में बदल गए है और पेड़-पौधे पहले की तुलना में कम कार्बन डाइऑक्साइड सोख रहे हैं। शोधकर्ताओं का कहना है, अब सिर्फ स्थिर रहने के लिए भी हमें उत्सर्जन (Carbon Emission) को प्रति वर्ष 0.3% कम करने की आवश्यकता है। यह एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि उत्सर्जन आमतौर पर प्रति वर्ष 1.2% की गति से बढ़ता है।
क्यों है चिंताजनक?
धरती की कार्बन सोखने की क्षमता में कमी का मतलब है कि वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा तेजी से बढ़ेगी, जिससे ग्लोबल वार्मिंग और तेज होगी। इससे जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों का खतरा बढ़ जाएगा, जैसे कि समुद्र के स्तर में वृद्धि, मौसम में बदलाव, और प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि।