अब भी जल रहा है लगभग दो-तिहाई हिस्सा (Germany fire incident)
अग्निशमन विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि शनिवार सुबह तक आग पर काबू पा लिया गया था, लेकिन लगभग दो-तिहाई हिस्सा अब भी जल रहा है। जलती हुई कारों और टायरों से निकलने वाली तीव्र गर्मी के कारण और भी कचरा जलने लगा, जिससे आग बुझाने का कार्य जटिल हो गया। गर्मी के प्रभाव से एक कार्यशाला की इमारत में भी आग लग गई और गैस सिलेंडरों में विस्फोट होने लगे।
पूरी आग काबू करने में कई दिन लग सकते हैं(Intense fire in Oldenburg)
प्रवक्ता ने बताया कि ओल्डेनबर्गके पास स्थित एक स्क्रैप मेटल यार्ड में आग पूरी तरह काबू में आने में कई दिन लग सकते हैं। आग की वजह से आसपास के क्षेत्र में धुंआ फैलने से स्थिति और भी जटिल हो गई है, और अग्निशमन कर्मियों को बड़े संघर्ष के बावजूद इस पर काबू पाना कठिन हो रहा है।
नई जानकारी:गर्मी और गैस सिलेंडरों के फटने की संभावना
आग की वजह: आग की लपटों से निकलने वाली गर्मी और गैस सिलेंडरों के फटने की संभावना, आग बुझाने के कार्य को और जटिल बना रही है। कदम: आग बुझाने में लगी टीम के लिए किसी भी प्रकार का खतरा लगातार बना हुआ है, जिससे पूरे अभियान को आगे बढ़ाने में और भी सावधानी बरती जा रही है।
प्रतिक्रियाएं: प्रदूषण और सुरक्षा खतरे को लेकर अपनी चिंता जताई
वहां के नागरिकों ने इस घटनाक्रम को बेहद चौंकाने वाला बताया है और आग के कारण उत्पन्न होने वाले प्रदूषण और सुरक्षा खतरे को लेकर अपनी चिंता जताई है। स्थानीय प्रशासन ने अग्निशमनकर्मियों को प्रोत्साहित करते हुए उन्हें सुरक्षित काम करने की अपील की है। साथ ही, लोगों को घटनास्थल से दूर रहने की सलाह दी है।
फॉलोअप: अग्निशमन विभाग आग की स्थिति की पूर निगरानी रखे हुए है
अग्निशमन विभाग इस क्षेत्र में हो रही आग की स्थिति की निगरानी रखे हुए है और पूरी कोशिश की जा रही है कि किसी भी तरह से स्थिति और न बिगड़े। संबंधित विभागों का कहना है कि आग से जुड़ी पूरी जानकारी और घटनास्थल पर सुरक्षा उपायों पर विस्तृत जानकारी जल्द ही दी जाएगी।
साइड एंगल: जर्मनी के अन्य भागों में भी आग बढ़ने का संकेत
बहरहाल यह आग सिर्फ ओल्डेनबर्ग में नहीं, बल्कि जर्मनी के अन्य भागों में भी विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में आग की घटनाओं के बढ़ने का संकेत देती है, जो सुरक्षा उपायों और ढांचागत समस्याओं को और गंभीर बना सकती है। आग बुझाने की प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले संसाधनों की कमी और इनकी जटिलता ने अधिकारियों के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।