हार्वर्ड ने मिसाल कायम की है : बराक ओबामा
बराक ओबामा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हार्वर्ड ने मिसाल कायम की है। यह अकादमिक आज़ादी की रक्षा की दिशा में एक मजबूत कदम है।”ओबामा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “छात्रों को खुली सोच, बहस और आपसी सम्मान का माहौल मिलना चाहिए। बाकी संस्थानों को भी यही रास्ता अपनाना चाहिए।” अब सबकी निगाहें बाकी विश्वविद्यालयों पर हैं – क्या वे भी ऐसा ही करेंगे?
यूएस सरकार ने हार्वर्ड पर गंभीर आरोप लगाया था
यूएस शिक्षा विभाग की टास्क फोर्स ने सोमवार को हार्वर्ड पर बड़ा आरोप लगाया था। उन्होंने कहा, “हार्वर्ड में एक परेशान करने वाली मानसिकता है। उन्हें लगता है कि संघीय फंडिंग मिलने का मतलब सिर्फ पैसा है, जिम्मेदारी नहीं।” इधर टास्क फोर्स यहूदी-विरोधी घटनाओं की जांच कर रही है। उन्होंने कहा, “यहूदी छात्रों के साथ भेदभाव बढ़ रहा है। परिसरों में पढ़ाई में बाधा अब आम हो गई है। यह अब बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।” इस पर सरकार ने चेतावनी दी – “अगर विश्वविद्यालय करदाताओं से समर्थन चाहते हैं, तो उन्हें बदलाव करने होंगे। सिर्फ नाम बड़ा होना काफी नहीं। जिम्मेदारी भी निभानी होगी।” अब टास्क फोर्स की रिपोर्ट के बाद दबाव और बढ़ गया है। हार्वर्ड जैसे संस्थानों से ठोस कदम उठाने की उम्मीद की जा रही है।
गर्वर ने दो टूक कहा, हार्वर्ड झुकेगा नहीं
हार्वर्ड के अध्यक्ष एलन गर्वर ने ट्रंप प्रशासन को दो टूक जवाब दिया है। उन्होंने एक सार्वजनिक पत्र में लिखा, “हम अपनी आज़ादी नहीं छोड़ेंगे, न ही अपने संवैधानिक अधिकारों से पीछे हटेंगे।” उन्होंने कहा, “सरकार की मांगें हार्वर्ड समुदाय पर नियंत्रण चाहती हैं। यह हमारे मूल्यों पर सीधा हमला है।” गर्वर ने साफ किया – “कोई भी सरकार यह तय नहीं कर सकती कि प्राइवेट विश्वविद्यालय क्या पढ़ाएं, किसे दाखिला दें, या किसे नौकरी दें।”
शिक्षा बनाम सत्ता की लड़ाई के कारण यह टकराव और गहरा गया
उन्होंने चेतावनी दी, “ज्ञान का उत्पादन और उसका प्रसार ही हमारा उद्देश्य है। सरकार इसमें दखल नहीं दे सकती।” कुछ ही घंटों बाद, अमेरिकी सरकार ने हार्वर्ड की 18,400 करोड़ रुपये की फंडिंग पर रोक लगा दी। मौजूदा हालात में अब शिक्षा बनाम सत्ता की लड़ाई के कारण यह टकराव और गहरा गया है।
सरकार ने हार्वर्ड पर फिर कसा शिकंजा
ट्रंप की एंटी-सेमिटिज़्म टास्क फोर्स ने हार्वर्ड के बयान को “चिंताजनक” बताया है। बयान में कहा गया, “हार्वर्ड जैसी बड़ी संस्थाओं में यह सोच घर कर गई है कि सरकारी फंडिंग मिलती रहे, लेकिन जिम्मेदारी नहीं निभानी पड़े।” टास्क फोर्स ने कहा, “हाल के बरसों में कैम्पस में पढ़ाई का माहौल बिगड़ा है। यहूदी छात्रों के साथ जो हो रहा है, वह बर्दाश्त के बाहर है।” उन्होंने साफ कहा – “अगर ये प्रतिष्ठित संस्थान टैक्सपेयर्स की मदद चाहते हैं, तो उन्हें बदलाव करना ही होगा। अब वक्त आ गया है कि ये विश्वविद्यालय इस समस्या को गंभीरता से लें।” अब बहस सिर्फ फंडिंग की नहीं, विश्वविद्यालयों की जवाबदेही भी बन चुकी है।
ग़ाज़ा युद्ध पर छात्रों का विरोध, ट्रंप की सख्त प्रतिक्रिया
पिछले साल अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों में छात्रों ने गाजा में इज़राइल की कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन किए। इन प्रदर्शनों ने देश भर में बहस छेड़ दी। जनवरी में सत्ता में लौटे डोनाल्ड ट्रंप और अन्य रिपब्लिकन नेताओं ने इन आंदोलनों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ प्रदर्शनकारी हमास का समर्थन कर रहे हैं। हमास को अमेरिका ने एक आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है।
विश्वविद्यालयों को जिम्मेदारी लेनी होगी : ट्रंप
इधर 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के बाद ग़ाज़ा युद्ध शुरू हुआ। इस हमले में इज़राइल में सैकड़ों लोगों की मौत हुई। ट्रंप का कहना है – “ऐसे आंदोलनों को समर्थन देना आतंकवाद को बढ़ावा देना है। विश्वविद्यालयों को जिम्मेदारी लेनी होगी।” बहरहाल अब शिक्षण संस्थानों पर राजनीतिक और कानूनी दबाव दोनों बढ़ रहे हैं।