भारत से कैलाश मानसरोवर तीर्थ की दूरी कितनी है ?
भारत से कैलाश मानसरोवर यात्रा की दूरी इस बात पर निर्भर करती है कि तीर्थयात्री किस मार्ग से यात्रा करते हैं। आम तौर पर यह दूरी लगभग 1,200 किलोमीटर (750 मील) के आसपास है है, जो उत्तर भारत से कैलाश पर्वत के पास स्थित मानसरोवर झील तक है। यात्रा के कई मार्गों के आधार पर यह दूरी थोड़ी बढ़ भी सकती है।
भारत से कैलाश मानसरोवर तीर्थ कैसे जा सकते हैं ?
भारत से कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए साधनों का चयन कई तरीकों से किया जा सकता है। इसके मुख्यत: चार प्रमुख मार्ग हैं: नम ग्याल मार्ग (Nathu La Route): यह मार्ग सिक्किम से होकर कैलाश मानसरोवर तक जाता है। इसमें भारतीय सेना व्यवस्थित यात्रा सुविधाएं उपलब्ध कराती है। लिपुलेख मार्ग (Lipulekh Route): यह मार्ग उत्तराखंड से होकर कैलाश तक जाता है, जिसमें लिपुलेख दर्रा पार करना होता है। भारतीय यात्रियों के लिए यह सबसे लोकप्रिय मार्ग है। चीन का मार्ग: कैलाश मानसरोवर यात्रा का एक अन्य मार्ग चीन के तिब्बत क्षेत्र से होकर हो कर जाता है, जिसमें भारतीय नागरिकों को यात्रा के लिए चीन सरकार से परमिट लेना होता है।
चीन भारत से कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए अनुमति देता है ?
चीन कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए भारतीय तीर्थयात्रियों को एक विशेष यात्रा परमिट जारी करता है। यह यात्रा परमिट केवल संगठित यात्रा समूहों के लिए ही उपलब्ध है। चीन सरकार यात्रा के दौरान सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाओं के लिए जिम्मेदार होती है, और सभी यात्रियों को समूहों में यात्रा करनी होती है। यात्रा के लिए पर्यटकों को पहले रजिस्टर करना और आवश्यक दस्तावेज़ जैसे पासपोर्ट और वीजा प्रस्तुत करना होता है।
चीन कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए परमिशन कैसे देता है, क्या है प्रक्रिया?
कैलाश मानसरोवर यात्रा चीन के तिब्बत क्षेत्र में स्थित एक पवित्र स्थल है, और वहां जाने के लिए विशेष अनुमति (परमिट) की आवश्यकता होती है। चीन कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए भारतीय तीर्थयात्रियों को अनुमति देता है, लेकिन यह अनुमति कुछ विशिष्ट प्रक्रियाओं और शर्तों के तहत प्रदान की जाती है। समूह यात्रा परमिट: चीन कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए केवल संगठित यात्रा समूहों को अनुमति देता है। यानी, तीर्थयात्री को समूह के रूप में यात्रा करनी होती है। अकेले यात्रा की अनुमति नहीं होती है। चीन सरकार को यह सुनिश्चित करना होता है कि यात्रा के दौरान यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा का ध्यान रखा जाए।
दस्तावेज़ और वीज़ा: यात्रा के लिए, तीर्थयात्री को अपने पासपोर्ट और चीनी वीज़ा की आवश्यकता होती है। यात्रा से पहले चीन के वीज़ा आवेदन की प्रक्रिया पूरी करनी होती है, जो भारतीय दूतावास या वाणिज्य दूतावास से किया जा सकता है।
परमिट की अवधि और शर्तें: यात्रा परमिट का एक निश्चित समय होता है, और इसमें यात्रा के दौरान सुरक्षा, मेडिकल सुविधा, और अन्य व्यवस्थाओं के लिए चीन की ओर से कुछ शर्तें होती हैं। यह परमिट विशेष रूप से यात्रा के दौरान मार्ग और तिब्बत में प्रवेश के लिए ही वैध होता है।
कैलाश मानसरोवर एक तीर्थयात्री की अनुमानित यात्रा कितने रुपए की ?
एक अनुमान के अनुसार कैलाश मानसरोवर यात्रा के खर्च की बात करें तो यह यात्रा लगभग ₹1,00,000 से ₹1,50,000 तक की हो सकती है। इसमें यात्रा का पैकेज, भोजन, यात्रा परमिट, और अन्य खर्च शामिल हो सकते हैं। यह कीमत यात्रा के मार्ग, यात्रा एजेंसी और सुविधाओं के हिसाब से बदल सकती है। सरकार की ओर से चलाए जाने वाले आयोजनों के लिए यह खर्च कम भी हो सकता है।
यात्रा और तीर्थ के लिए कैसी हो सुरक्षा व व्यवस्था ?
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए सुरक्षा और व्यवस्था एक महत्वपूर्ण विषय है। चीन और भारत दोनों ही सरकारें तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े उपाय कर सकती हैं। सुरक्षा प्रबंध: यात्रा के दौरान भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए भारतीय दूतावास और चीनी प्रशासन मिलकर काम करें तो अच्छा रहे। इस यात्रा के दौरान मेडिकल सुविधाएं और क्यूआर कोड जैसे स्मार्ट तकनीकी साधन भी उपलब्ध कराए जाएं तो सभी के लिए सही रहे।
यात्रा के दौरान व्यवस्थाएँ: यात्रियों को तिब्बत क्षेत्र में यात्रा करते समय रात्रि विश्राम, भोजन, और स्थानीय परिवहन की सुविधा प्रदान की जाएं तो बेहतर है। इसके अलावा, यात्रा के दौरान भारतीय अधिकारियों की निगरानी भी जरूरी है।
भारत और चीन में क्या है विवाद ?
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पिछले कई दशकों से चला आ रहा है, जिसमें मुख्य रूप से अक्साई चीन और अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्रों को लेकर विवाद है। कैलाश मानसरोवर यात्रा भी इस विवाद के बीच आती है, क्योंकि कैलाश पर्वत तिब्बत के इलाके में स्थित है, जिसे चीन अपना हिस्सा मानता है, जबकि भारत इसे विवादित क्षेत्र मानता है। इस विवाद के कारण यात्रा में कभी-कभी व्यवधान भी आता है, लेकिन दोनों देशों ने धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सहयोग बढ़ाने की कोशिश की है।