India-Pakistan Border Tension: भारतीय कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान संबंधों को और तनावपूर्ण ( India-Pakistan Border Tension) बना दिया है। भारत सरकार ने इस हमले के लिए सीधे तौर पर पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन को जिम्मेदार ठहराया है। इसके बाद से नियंत्रण रेखा (LoC) पर भी गतिविधियां तेज हो गई हैं। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सेना को फ्री हेंड दे दिया है। उधर चीन ने पाकिस्तान के साथ खड़े रहने के संकेत दिए हैं, लेकिन भारत की आलोचना नहीं की है। दरअसल चीन की रुचि दक्षिण एशिया (China strategic interest in South Asia) पर अपनी पकड़ मजबूत रखने में है।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के लिए भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन को जिम्मेदार ठहराया है। इसके बाद भारत ने एलओसी के पास आर्टिलरी तैनाती और हवाई निगरानी बढ़ा दी है। पाकिस्तान की ओर से भी सीमा पर सैनिक हलचल और रडार एक्टिविटी में इजाफा देखा गया है।
नियंत्रण रेखा (LoC) पर तनाव की स्थिति (India China LAC conflict)
भारत और पाकिस्तान के बीच 778 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा (LoC) है। ध्यान रहे कि सन 2022 में LoC पर 1300 से अधिक संघर्ष विराम उल्लंघन हुए थे। वहीं 2023 और 2024 में संघर्ष विराम के पालन में सुधार हुआ था, लेकिन 2025 में फिर तनाव बढ़ा है।
पाकिस्तानी सरकार का रुख़
पाकिस्तान सरकार ने आतंकी घटना की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच करवाने की बात कही है, लेकिन आतंकी संगठनों पर सीधी कार्रवाई नहीं की। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री के भारत के बारे में तथ्यहीन बयान देने पर भारत सरकार ने उनका एक्स अकाउंट भारत में ब्लॉक कर दिया है। पाकिस्तान की सेना ने बयान में कहा : किसी भी भारतीय आक्रामकता का जवाब दिया जाएगा।
भारत सरकार की बॉर्डर तैयारी
सर्जिकल स्ट्राइक (2016) और बालाकोट एयर स्ट्राइक (2019) जैसे कदमों के चलते भारत की प्रतिक्रिया की नीति अब अधिक आक्रामक है। भारत ने बॉर्डर पर ड्रोन सर्विलांस और सेना को सक्रिय कर दिया है।
महत्वपूर्ण आंकड़े (स्रोत: रक्षा मंत्रालय, 2024)
भारत का रक्षा बजट: करीब 6.2 लाख करोड़ रुपए (2024-25) सीमा पर तैनात सैनिक (उत्तरी कमान): लगभग 2.5 लाख से अधिक। पाकिस्तानी सेना की कुल क्षमता: 6 लाख एक्टिव सैनिक, जिनमें लगभग 2 लाख भारत सीमा पर तैनात हैं।
पाकिस्तान का रणनीतिक साझेदार है चीन
पाकिस्तान का रणनीतिक मित्र और ‘ऑल वेदर फ्रेंड’ कहे जाने वाला चीन, इस पूरे घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रखे हुए है। चीनी विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि “दोनों पक्षों को संयम बरतना चाहिए और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखनी चाहिए।” हालांकि, चीन ने हमले की अब तक निंदा नहीं की है, जो भारत के लिए चिंताजनक है।
क्या चीन भारत-पाक तनाव का फायदा उठा रहा है ?
चीन भारत और पाकिस्तान के बीच इस भू-राजनीतिक तनाव का लाभ उठाने की कोशिश कर सकता है।
चीन की ओर से एलएसी (LAC) पर दबाव बढ़ाना
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में गालवान घाटी, डेपसांग और हॉट स्प्रिंग्स जैसे इलाकों में पहले से ही तनाव चल रहा है। 2020 के बाद से अब तक दोनों देशों के बीच 21 दौर की सैन्य वार्ता हो चुकी है, लेकिन पूरी तरह डी-एस्केलेशन नहीं हुआ है।
भारत और चीन में अरुणाचल प्रदेश विवाद
चीन लगातार अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताता है और हाल ही में उसने 11 स्थानों के नए नाम (टॉपोनिम्स) जारी किए थे। भारत ने इसे खारिज करते हुए कहा कि “अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है।”
CPEC और गिलगित-बाल्टिस्तान विवाद (CPEC and PoK dispute)
चीन का चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है, जिसे भारत अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है। भारत-पाक तनाव के समय चीन CPEC परियोजनाओं को तेजी देने की कोशिश कर सकता है।
दक्षिण एशिया में रणनीतिक पकड़ मजबूत करना
चीन नेपाल, श्रीलंका और मालदीव जैसे देशों में निवेश और सैन्य सहयोग के माध्यम से भारत को रणनीतिक रूप से घेरने की नीति पर काम कर रहा है। वह भारत से भी यह उम्मीद करता है कि वह उसकी ताकत के अनुसार उसे महत्व दे।
चीन, पाकिस्तान और भारत
भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी LAC पर कई क्षेत्रों में फेस-ऑफ प्वाइंट्स हैं। भारत का चीन के साथ सालाना व्यापार 2024 में 135 अरब डॉलर को पार कर गया, लेकिन व्यापार घाटा चीन के पक्ष में है। चीन ने पाकिस्तान को 2022–2024 के बीच करीब लगभग 83,500 करोड़ रुपये की सैन्य सहायता और 33,400 करोड़ रुपये का कर्ज राहत पैकेज दिया। दरअसल CPEC की अनुमानित लागत 5.17 लाख करोड़ रुपये है। इधर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था 2025 में संकट में है और IMF का अनुमान है कि GDP ग्रोथ 1.8% रहेगी।
भारत के लिए सावधानी बहुत जरूरी : चीन लाभ तलाश करने वाला खिलाड़ी
बहरहाल भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के इस दौर में चीन एक निष्पक्ष मध्यस्थ के रूप में नहीं, बल्कि रणनीतिक लाभ तलाश करने वाले खिलाड़ी के रूप में दिख रहा है। भारत के लिए यह दोतरफा चुनौती है, क्यों कि पश्चिम में पाकिस्तान और पूर्वोत्तर में चीन है। भारत को अपनी राजनयिक और सैन्य रणनीतियों में समन्वय बना कर ही इस चुनौती का सामना करना होगा।