प्रोफेसर यूनुस को पद पर बने रहना चाहिए : फैज अहमद तैयब
एक राजनीतिक सहयोगी और उनके कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि यूनुस ने पिछले वर्ष बड़े पैमाने पर विद्रोह के बाद पद भार संभाला था और धमकी दी थी कि यदि पार्टियों ने उनका समर्थन नहीं किया तो वह पद छोड़ देंगे। यूनुस के विशेष सहायक और डाक, दूरसंचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के प्रमुख फैज अहमद तैयब ने शुक्रवार को फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा, “बांग्लादेश और शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक परिवर्तन के लिए प्रोफेसर यूनुस को पद पर बने रहना चाहिए।”
‘मुख्य सलाहकार पद छोड़ने वाले नहीं हैं, उन्हें सत्ता की लालसा नहीं है’
उन्होंने कहा, “मुख्य सलाहकार पद छोड़ने वाले नहीं हैं।” “उन्हें सत्ता की लालसा नहीं है।” गौरतलब है कि यूनुस और सेना के बीच भी तनाव की खबरें सामने आई हैं। स्थानीय मीडिया और सैन्य सूत्रों ने बताया कि सेना प्रमुख जनरल वकर-उज़-ज़मान ने बुधवार को आग्रह किया था कि दिसंबर तक चुनाव करवा लिए जाएं।
सेना राजनीति में दखल नहीं दे सकती (Bangladesh army election)
तैयब ने सेना को चेतावनी देते हुए कहा, “सेना राजनीति में दखल नहीं दे सकती। किसी भी सभ्य देश में सेना ऐसा नहीं करती। यह कह कर कि चुनाव दिसंबर तक होने चाहिए, सैन्य प्रमुख अपने अधिकार क्षेत्र की शुद्धता बनाए रखने में विफल रहे।”ध्यान रहे कि बांग्लादेश का राजनीतिक संकट इस सप्ताह और गहरा गया है, क्योंकि प्रतिद्वंद्वी पार्टियों ने ढाका में अपनी-अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया है। अब चुनाव को लेकर सेना की भूमिका अहम है।
हजारों बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के समर्थक सड़कों पर उतर आए
इधर तनाव तब बढ़ गया, जब ऐसी खबरें आईं कि यूनुस पद छोड़ सकते हैं, इसके कुछ ही देर बाद बुधवार को हजारों बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के समर्थक सड़कों पर उतर आए और अंतरिम सरकार के खिलाफ अपना पहला बड़ा विरोध प्रदर्शन किया।
यूनुस ने जून 2026 तक चुनाव करवाने का वादा किया है
उल्लेखनीय है कि यूनुस ने जून 2026 तक चुनाव करवाने का वादा किया है, लेकिन आगामी चुनाव में अग्रणी मानी जा रही बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के समर्थकों ने उन पर चुनाव के लिए तारीख की घोषणा करने का दबाव बनाया है। अगस्त 2024 में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने वाले छात्र-नेतृत्व के विद्रोह के बाद से लगभग 17 करोड़ लोगों वाला दक्षिण एशियाई राष्ट्र राजनीतिक उथल-पुथल में है, जिसमें कई राजनीतिक दल बहुत सी मांगों को लेकर सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। विरोध प्रदर्शनों को जल्द ही इस्लामी कट्टरपंथियों ने हाईजैक कर लिया, जिनमें से कुछ को पाकिस्तान और उसकी जासूसी एजेंसियों का समर्थन प्राप्त था।